आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे: आखिर क्यों दफन है अरबों के घोटाले की जांच रिपोर्ट ?
ईओडब्ल्यू ने शासन को भेजी रिपोर्ट में कई आईएएस अफसरों पर उठाये हैं गंभीर सवाल
Agra-Lucknow Expressway Scam/Manish Srivastava: मुख्यमंत्री योगी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर हैं। इसके बावजूद सपा सरकार के दौरान हुए घोटालों की जांच रिपोर्ट पर नौकरशाही कुंडली मारे बैठी है। खासतौर पर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे घोटाला। जिसके भूमि अधिग्रहण के दौरान सुनियोजित साजिश के तहत अरबों की हेराफेरी जमीनों के गोरखधंधे से की गयी थी। इसके बावजूद घोटाले की जांच रिपोर्ट शासन में धूल फांक रही है।
शासन के निर्देश पर आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा की कानपुर इकाई ने प्रदेश के दस जिलों में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे घोटाले की जांच शुरू की थी। पहले तो कानपुर, उन्नाव, हरदोई, इटावा, कन्नौज, फिरोजाबाद, औरैया, मैनपुरी और आगरा जिलों के डीएम ने लम्बे समय तक ईओडब्ल्यू के अफसरों को जांच के दौरान लम्बे समय तक दस्तावेज ही मुहैया नहीं कराये। तत्कालीन एसपी ईओडब्ल्यू बाबू राम ने तकरीबन आधा दर्जन रिमाइंडर तक भेजे थे।
रिपोर्ट में कई आईएएस अफसरों को ठहराया जिम्मेदार
यही नहीं यूपीडा से भी जरुरी सूचनाएं ईओडब्ल्यू को मिलने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इसके बाद ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले की जांच खत्म करके शासन को रिपोर्ट भेज दी। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन एसपी बाबू राम ने इस बड़े घोटाले की रिपोर्ट में कई आईएएस अफसरों को जिम्मेदार ठहराया है।
जिसमें से एक अपर मुख्य सचिव स्तर के आईएएस रिटायर भी हो चुके हैं। घोटाले को अंजाम देने के लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के निर्माण से पहले एलाइनमेंट बनने के दौरान ही जिलों के एडीएम भू अध्याप्ति के दफ्तर में तैनात कर्मचारियों, लेखपाल, कानूनगो और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने किसानों की जमीन औने-पौने दाम पर खरीदकर अपने रिश्तेदारों के नाम करा दी थी।
इनमें से कुछ लोगों ने कृषि योग्य भूमि का भू उपयोग परिवर्तन भी करा लिया था, ताकि ज्यादा मुआवजा मिल सके। ले आउट प्लान और संशोधनों पर भी घोटाले की जांच रिपोर्ट में गंभीर सवाल खड़े किये गए हैं। इस घोटाले में जिलों के तमाम अफसरों और कर्मियों की भी अहम भूमिका है। जिनके तार सफेदपोशों से भी जुड़े हैं। लेकिन इस रिपोर्ट को दफन कराकर घोटाले के असली दोषियों को बचाया जा रहा है।
17 अरब के उपशा घोटाले की जांच भी सिर्फ फाइलों में दौड़ रही
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे घोटाले की तर्ज पर 17 अरब से ज्यादा के उप्र स्टेट हाईवे अथॉरिटी (उपशा) के दिल्ली-सहारनपुर-यमुनोत्री फोर लेन मार्ग घोटाले की जांच भी सिर्फ फाइलों में दौड़ रही है। जांच का जिम्मा एसआईटी के पास है। घोटाले को 14 बैंकों से 1700 करोड़ का ऋण लेने का अनुबंध लेकर अंजाम दिया गया था। बड़े ठेकेदारों ने काम सिर्फ 13 प्रतिशत किया, लेकिन अफसरों की मदद से भुगतान छह अरब से ज्यादा का करा लिया गया।
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