संपादक की कलम से : रोजगार दिलाने में कमजोर होते अवसर
Sandesh Wahak Digital Desk : शहर गांव और समाज का हर तबका कोविड-19 महामारी से जंग के बाद जब पटरी पर वापस लौटा तो सरकार ने भी होश संभाला। असर ये हुआ कि देश में रोजगार के अवसर बढ़े लेकिन इसके बावजूद 25 वर्ष से कम आयु के 42.3 फीसदी युवा स्नातक बेरोजगार हैं। यह बात अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023 खुद कहती है।
रिपोर्ट सरकारी आंकड़ों पर आधारित है। इस रिपोर्ट में आधिकारिक आंकड़ों जैसे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, उद्योगों के वार्षिक सर्वेक्षण, एनएसओ के रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के स्रोतों का उपयोग किया गया है। रिपोर्ट कहती है देश में 2019-20 के दौरान बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत थी, जो वित्तीय वर्ष 2021 में घटकर 7.5 और 2022-23 में 6.6 फीसदी रह गई है।
इसके बावजूद हाल में कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने वाले और 25 वर्ष से कम उम्र के ग्रेजुएट युवाओं को नौकरी ढूंढने में सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। 25 साल से कम आयु वर्ग के निरक्षऱ युवाओं में बेरोजगारी की दर 13.5 प्रतिशत दर्ज की गई है। सबसे ज्यादा बेरोजगारी 25 से 29 वर्ष के ग्रेजुएट या उच्च योग्यता रखने वाले युवाओं में हैं। इनमें बेरोजगारी दर 22.8 प्रतिशत दर्ज की गई है। इसके बाद उच्च माध्यमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है ये 21.4 प्रतिशत दर्ज की गई है।
पढ़ाई पूरी करके निकालने के तुरंत बाद नौकरी नहीं मिल पाती
रिपोर्ट के अनुसार, 40 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के ग्रेजुएट लोगों में बेरोजगारी की दर मात्र 1.6 फीसदी दर्ज की गई है। इसी उम्र के अनपढ़ वर्ग में यह दर 2.4 फीसदी है। 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के ग्रेजुएट्स में बेरोजगारी दर पांच फीसदी से कम है। इससे संकेत मिलते हैं कि स्नातकों को औसतन 20 से 30 साल की उम्र के बीच में या 30-40 वर्ष की उम्र के शुरुआती दौर में नौकरी मिल जाती है। हालांकि, उन्हें कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके निकालने के तुरंत बाद नौकरी नहीं मिल पाती है।
2021-22 के दौरान शहरी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं में बेरोजगारी दर 9.9 फीसदी थी। हालांकि, 2017-18 की तुलना में देखें तो इसमें 22 फीसदी की कमी आई है। वहीं, पुरुषों में यह आंकड़ा केवल 7.8 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार, 2004 के बाद से महिला रोजगार दर में या तो गिरावट आ रही थी या वह स्थिर बनी हुई थी। 2019 के बाद महिलाओं के रोजगार में वृद्धि हुई है, क्योंकि महामारी के बाद पहले से ज्यादा महिलाओं ने स्व-रोजगार की ओर रुख किया है।
कोविड से पहले 50 फीसदी महिलाएं स्व-रोजगार में थीं और वहीं महामारी के बाद यह आंकड़ा बढक़र 60 फीसदी पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में एक और महत्वपूर्ण प्रश्न सामने आया है कि क्या ये नौकरियां जो उन पढ़े लिखे युवकों को मिलती हैं वह उनके कौशल और आकांक्षाओं के अनुरूप हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह महत्वपूर्ण विषय है। इस पर और शोध करने की जरूरत है।
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