मंडी परिषद घोटाला: लाल डायरी में दर्ज हैं लेखा विभाग के भी गुनाहगार
एक लेखाधिकारी ने तो ट्रांसफर के बाद भी उठाया कमीशन
Sandesh Wahak Digital Desk : मंडी परिषद के प्रयागराज निर्माण खंड में सिर्फ अभियंताओं और अधिकारियों ने ही भ्रष्टाचार नहीं किया। बल्कि लेखा विभाग के अधिकारियों ने भी बहती गंगा में खूब हाथ धोए हैं। फर्जी फर्मों को सवा दो करोड़ रुपए भुगतान करने के लिए चेकों पर हस्ताक्षर करने वाले लेखाधिकारी मैकूलाल के खिलाफ तो कार्रवाई शुरू हो गई है, लेकिन लाल डायरी में उन लेखाधिकारियों का भी उल्लेख है जिन्होंने अन्य मदों में खूब कमीशन लिए।
यहां पर तैनात रहे लेखाधिकारी संजीव कुमार गंगवार 18 सितंबर 2019 से 30 जून 2022 तक खूब कमीशन लिया। पूरा लेखा-जोखा लाल डायरी में तिथिवार दर्ज है। खास बात यह है लेखाधिकारी गंगवार कमीशन सुबह ले गए कि शाम को ले गए यहां तक दर्ज है। डायरी में लिखा है कि गंगवार ढाई लाख रुपए ट्रांसफर होने के बाद भी ले गए। डायरी के हिसाब से इन्होंने 30 बार कमीशन लिया। इनके लिए करीब 40 लाख का ब्योरा दर्ज है।
डीके सक्सेना के नाम के नीचे 31 ठेकेदारों और फर्मों का नाम दर्ज
उसी तरह लेखाधिकारी डीके सक्सेना के नाम के नीचे 31 ठेकेदारों और फर्मों का नाम दर्ज है। उन सभी ठेकेदारों और फर्मों के सामने रुपए की राशि भी लिखी है। यह राशि कमीशन के लिए लिखी गई है अथवा ठेकेदारों से ली गई धनराशि है, इसपर दावा नहीं किया जा सकता। हालांकि जांच होने के बाद मामला दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। तीसरा बड़ा नाम मैकूलाल का है।
जिन्होंने रिटायरमेंट के पहले बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया। दो करोड़ 40 लाख रुपए का फर्जी भुगतान जिन फर्मों को हुआ हैं, उनके चेकों पर मैकूलाल के भी हस्ताक्षर हैं। प्रयागराज निर्माणखंड में यह अंधेरगर्दी आज से नहीं चल रही है। बसपा सरकार हो अथवा सपा सरकार हो या फिर बीजेपी सरकार हो। यहां हर सरकार में खूब खेल हुआ है। अधिकारियों ने तो खूब रुपए कमाए, लेकिन लेखाधिकारी भी रुपए कमाने में पीछे नहीं हटे। विकास कार्य क्या हुआ होगा इसका तो भगवान ही मालिक है।
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