विधायिका से मांगा हक : अपने सम्मान की रक्षा के लिए लामबंद हो रहे यूपी के आईएएस
भाजपा विधायक पंकज सिंह द्वारा आईडीसी मनोज कुमार सिंह के लिए सार्वजनिक तौर पर कहे अल्फाजों से नौकरशाही में आक्रोश
Sandesh Wahak Digital Desk/ Manish Srivastava: नौकरशाहों पर गुस्सा निकालने का जनप्रतिनिधियों को मानो लाइसेंस दिया गया है। अफसर आपा खो देता है तो शालीन रहने को ताकीद किया जाता है। कोई जनप्रतिनिधि इस तरह से बोले तो मामले को दबा दिया जाता है। हमारे संवर्ग का भी सम्मान है, जिस पर चोट लगने से हम भी आहत होते हैं। ये कहना एक प्रमुख सचिव स्तर के वरिष्ठ आईएएस का है।
हाल ही में प्रदर्शनकारी किसानों के बीच भाजपा विधायक पंकज सिंह ने सार्वजनिक रूप से औद्योगिक विकास आयुक्त (आईडीसी) मनोज कुमार सिंह के लिए जिस अंदाज में लखनऊ में बैठकर ‘तमाशा’ देखने जैसे अल्फाजों का इस्तेमाल किया था, उससे नौकरशाही के शीर्ष कैडर के बड़े तबके में भारी नाराजगी है। जिसका इजहार आईएएस एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप में अफसरों ने किया है।
मुख्यमंत्री के सामने प्रकरण को रखने की मांग उठायी
आईएएस अफसरों ने एसोसिएशन से इस मामले में दखल देने के साथ मुख्यमंत्री के सामने प्रकरण को रखने की मांग उठायी है। लेकिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के विधायक बेटे से मामला जुड़ा होने के चलते आईएएस एसोसिएशन अपने सदस्यों के सम्मान की बात उठाने से भी कतरा रही है।
आईएएस एसोसिएशन के व्हाट्सएप ग्रुप में सबसे पहले एक सचिव रैंक के अफसर ने साथियों को सम्मान के वास्ते जगाने के लिए इस मुद्दे को उठाते हुए राष्ट्रवादी व जर्मन धर्मशास्त्री मार्टिन नीमोलर की एक कविता फर्स्ट दे केम फॉर द कम्युनिस्ट से शुरुआत की। उन्होंने आगे लिखा कि मैं बहुत इंटेलिजेंट नहीं, भावुक हूं। लेकिन जिस तरह की टोन बेहद सीनियर आईएएस के लिए इस्तेमाल की गयी है। उसके खिलाफ एक रिजॉल्यूशन पास करना चाहिए।
दो दर्जन आईएएस अफसरों ने इस मुद्दे पर रखी अपनी राय
वहीं अपर मुख्य सचिव स्तर की एक महिला अफसर ने इसके बाद लिखा कि आईएएस एसोसिएशन को इस प्रकरण पर सीधे सीएम योगी से मिलकर उन्हें नौकरशाही की भावनाओं से वाकिफ कराना चाहिए। सीएम नौकरशाही के हेड होने के साथ ही रूलिंग पार्टी के विधानमंडल दल के नेता भी हैं। जैसे सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट को सलाह देता है, वैसे सीएम माननीय विधायिका को सलाह दे सकते हैं कि पब्लिक व्यू में ऐसा न करें।
इसके बाद तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा आईएएस अफसरों ने न सिर्फ इस मुद्दे पर विचार प्रकट किये बल्कि इस बात से सहमति भी जताई कि एसोसिएशन को मुख्यमंत्री योगी के समक्ष मामले को उठाना चाहिए। इसमें कई प्रमुख विभागों के अपर मुख्य सचिव भी शामिल हैं। सबने एक सुर में कहा कि अगर माननीय सम्मान न मिलने पर आहत हो सकते हैं तो क्या अफसरों का कोई सम्मान नहीं होता है।
आईएएस एसोसिएशन के जिम्मेदारों का टिप्पणी करने से इंकार
आईएएस एसोसिएशन के जिम्मेदारों से ‘संदेश वाहक’ ने पूछा कि क्या साथी सदस्यों के सम्मान की रक्षा के लिए इस प्रकरण को मुख्यमंत्री योगी के सामने उठाया जाएगा तो उन्होंने कुछ भी टिप्पणी करने से साफ इंकार कर दिया। जिस वरिष्ठ पदाधिकारी ने एसोसिएशन के व्हाट्सएप गु्रप पर साथी अफसरों से सहमत होने का संदेश भी लिखा था। उन्होंने तो पंकज सिंह का नाम सुनते ही मामला समझने पर फोन ही काट देना ज्यादा मुनासिब समझा।
विधानसभा की समितियों की बैठकों में खड़े रहते हैं अफसर
‘संदेश वाहक’ से कई वरिष्ठ आईएएस अफसरों ने अपना दर्द भी सांझा किया। अफसरों के मुताबिक विधायिका हमारा कितना सम्मान करती है, इसकी नजीर विधानसभा की समितियों की बैठकों में देखी जा सकती है। जहां जवाब/साक्ष्य देते समय प्रोटोकॉल की बात कहकर हमेशा हमें खड़े रहने को कहा जाता है। फिर सामने अपर मुख्य सचिव स्तर का अफसर ही क्यों न हो। बात करते समय नौकरशाही का ये दर्द एक टीस के माफिक नजर आया।
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