जेल की मजबूत सलाखों से बाहर आने का इंतजार कर रहे ढाई हजार कैदी
Sandesh Wahak Digital Desk/Rakesh Yadav : प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के आवेदनों और दया याचिकाओं का त्वरित निस्तारण कर दिया जाए। तो करीब ढाई हजार कैदियों को जेल की सलाखों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस प्रक्रिया से प्रदेश की केंद्रीय कारागारों में ओवरक्राउडिंग की समस्या तो दूर होगी ही इसके साथ ही जेल अफसरों को जेलों में संचालन में भी मदद मिलेगी। समय पूर्व रिहाई को लेकर उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद प्रदेश की जेलों में से बड़ी संख्या में कैदियों को पहले भी रिहा किया जा चुका है।
प्रदेश में सजायाफ्ता कैदियों को रखने के लिए वर्तमान समय में छह केंद्रीय कारागार हैं। इसमें केंद्रीय वाराणसी, केंद्रीय कारागार फतेहगढ़, केंद्रीय कारागार आगरा, केंद्रीय कारागार बरेली और केंद्रीय कारागार केंद्रीय कारागार नैनी (प्रयागराज) शामिल है।
70 हजार विचाराधीन बंदी और करीब 30 हजार सजायाफ्ता कैदी बंद
पिछले दिनों प्रदेश में इटावा जनपद में नई केंद्रीय कारागार का संचालन शुरू किया गया है। केंद्रीय कारागार में सजायाफ्ता कैदियों को रखे जाने का प्रावधान है। वर्तमान समय में केंद्रीय कारागार नैनी में सजायाफ्ता कैदियों के साथ विचाराधीन बंदियों को भी रखा जा रहा है। इसी प्रकार इटावा केंद्रीय कारागार में भी कुछ ऐसा ही आलम है। वर्तमान समय में प्रदेश की जेलों में करीब एक लाख बंदी निरुद्ध हैं। इसमें करीब 70 हजार विचाराधीन बंदी और करीब 30 हजार सजायाफ्ता कैदी बंद है।
सूत्रों का कहना है कि सजायाफ्ता कैदियों की समयपूर्व रिहाई के लिए शासन ने 14 से 16 साल की सजा काट चुके कैदियों के लिए फार्म-ए/ नॉमिनल रोल और दयायाचिका के लिए आवेदन करने की व्यवस्था की है। इतनी सजा पूरी करने वाला कैदी समयपूर्व रिहाई के लिए फार्म-ए/नॉमिनल रोल और दया याचिका के माध्यम से रिहाई की गुहार लगा सकता है।
औपचारिक कार्यवाही के बाद कैदी को रिहा किए जाने का प्रावधान
आवेदन करने वाले कैदियों का यह आवेदन जेल से कैदी के गृहजनपद जाता है। वहां से डीएम और एसपी की रिपोर्ट के बाद यह आवेदन आईजी जेल के पास आता है। आवेदन की पड़ताल के बाद इसको कैदी की रिहाई के लिए शासन के पास भेजा जाता है। औपचारिक कार्यवाही के बाद कैदी को रिहा किए जाने का प्रावधान है।
सूत्र बताते हैं कि वर्तमान समय में प्रदेश की जेलों में करीब ढाई हजार कैदी ऐसे हैं जिनका फार्म-ए, नॉमिनल रोल और दयायाचिकाएं लंबित पड़ी हुई है। समयपूर्व रिहाई के लिए लंबित पड़े इन आवेदनों पर यदि मुख्यालय और शासन स्तर पर त्वरित कार्यवाही की जाए तो प्रदेश की जेलों में करीब दो से ढाई हजार कैदियों को जेल की सलाखों से मुक्ति मिल जाएगी।
इस कार्रवाई से जेलों को आवरक्राउडिंग की समस्या से राहत मिलेगी। इसके अलावा प्रदेश की जेलों में करीब सौ से सवा सौ कैदी ऐसे भी है जिन्होंने 20 साल की सजा काट ली है। इस संबंध में जेल मुख्यालय के डीआईजी जेल एके सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि प्रक्रिया थोड़ी लंबी जरूर है लेकिन इसके बावजूद समय-समय पर कैदियों की समयपूर्व रिहाई की प्रक्रिया लगातार चल रही है।
प्रभारी अधिकारी को नहीं मालूम कैदियों की संख्या
प्रदेश के जेल मुख्यालय में ऐसे अधिकारियों को विभाग का प्रभारी अधिकारी बना दिया गया। जिन्हे विभाग के संबंधित विषयों की जानकारी नहीं है। जेल मुख्यालय के प्रोबेशन विभाग के प्रशासनिक अधिकारी जीपी गंगवार से जब यह जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई कि प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के फार्म-ए/नॉमिनल रोड और दयायाचिका के कितने मामले लंबित हैं।
इस पर उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वर्तमान समय में प्रदेश की जेलों में कितने सजायाफ्ता कैदी निरुद्ध है। इसका जवाब देने से भी उन्होंने इनकार कर दिया। डीजी पुलिस/आईजी जेल एसएन साबत ने इस ऊहापोह की स्थिति को संख्या बताकर खत्म किया।
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