संपादक की कलम से : जवानों की सुरक्षा का सवाल
Sandesh Wahak Digital Desk : सीमावर्ती व केंद्र शासित राज्य लद्दाख में निगरानी गश्ती दल के एक वाहन के खाई में गिरने से नौ जवान शहीद हो गए। इस तरह की दुर्घटना पहली बार नहीं हुई है। इसके पूर्व लद्दाख, सिक्किम व जम्मू-कश्मीर में खाई में सैन्य वाहन के गिरने से कई जवानों की मौत हो चुकी है। पिछले साल सिक्किम में हुए ऐसे ही हादसे में 16 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें तीन सेना के अफसर भी शामिल थे।
सवाल यह है कि :
- कड़ी ट्रेनिंग के बावजूद सैन्य वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संख्या में इजाफा क्यों हो रहा है?
- जोखिम भरे इलाकों में गश्त के दौरान चूक कहां हो रही है?
- जवानों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं हो पा रहा है?
- दुर्घटना के कारणों की जांच-पड़ताल के बावजूद हालात में सुधार क्यों नहीं हो रहे हैं?
- क्या दुर्गम क्षेत्रों में वाहनों के संचालन के लिए तैनात किए जा रहे ड्राइवरों को और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है?
- क्या जवानों को दुर्गम क्षेत्रों में गश्ती के पहले मौसम की सटीक जानकारी नहीं मिल पा रही है?
- आखिर कब तब हम ऐसी दुर्घटनाओं में अपने जवानों को खोते रहेंगे?
किसी भी देश की सुरक्षा वहां की सेना और ड्यूटी पर तैनात सैनिकों के कंधों पर होती है। इन सैनिकों को हर प्रकार के जोखिम से निपटने के लिए तैयार किया जाता है। ये युद्ध व आपदाकाल में देश के किसी कोने पर सबसे पहले मोर्चा संभालते हैं। प्राकृतिक आपदा के समय सेना के जवान न केवल नागरिकों की जान बचाते हैं बल्कि उनको सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाते भी हैं।
राष्ट्र के लिए अपूर्णनीय क्षति
भारतीय सैनिक शांति से लेकर युद्ध क्षेत्र तक में अपनी कर्तव्यनिष्ठा, साहस और जोश के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। हमारे सैनिक बर्फ से लदी चोटियों और तपते रेगिस्तान में अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं और सीमा की सुरक्षा में अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। ऐसी स्थिति में अपने जवानों को दुर्घटना में खोना बेहद दुखद है। यह राष्ट्र के लिए अपूर्णनीय क्षति है।
दरअसल, पिछले दो वर्षों में सेना के वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संख्या बढ़ी है। इन हादसों में कई जवान शहीद हो चुके हैं। वाहनों के खाई में गिरने की घटनाओं को केवल मानवीय भूल कह कर नहीं टाला जा सकता है। ऐसी दुर्घटनाओं का न केवल सूक्ष्मता से विश्लेषण किया जाना चाहिए बल्कि इसके कारणों को तत्काल दूर किया जाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। इसके अलावा इसके अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
मसलन दुर्गम क्षेत्रों पर वहां की भौगोलिक जानकारी के साथ बेहद प्रशिक्षित ड्राइवरों को ही तैनात किया जाना चाहिए। साथ ही गश्त के पहले मौसम की सटीक जानकारी दल को उपलब्ध करानी चाहिए ताकि वे सतर्कता के साथ अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकें। इसके अलावा दुर्घटनाओं को कम करने के लिए कम जोखिम वाली सडक़ों का निर्माण किया जाए। यदि ऐसा नहीं किया तो जवानों की सुरक्षा खतरे में ही रहेगी।
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