UP: राम मंदिर आंदोलन में प्राण गंवाने वालों को मिलेगा सम्मान, तैयारियों में जुटा ट्रस्ट
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी की अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य जोरशोर से चल रहा है. जनवरी, 2024 में मंदिर का उद्घाटन होना है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्रभु श्रीराम के मंदिर के लोकार्पण के साथ उन लोगों को भी सम्मान देने की योजना बना रहा है, जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राण गंवाए थे. इन वीर शहीदों को सम्मान देने के लिए ट्रस्ट की बैठकों में कई माध्यमों पर चर्चा हुई है.
बैठक में वीर शहीदों के नाम पर मूर्तियां, स्मारक और सड़कों-भवनों के नाम रखने जैसे विकल्पों पर विचार किया गया है. अयोध्या में बनने वाले प्रस्तावित राम म्यूजियम में ऐसे सभी शहीदों को स्थान देकर उन्हें सम्मान देने की योजना पर अंतिम सहमति बन सकती है.
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि ट्रस्ट की बैठकों में इस बात पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया है कि राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति देने वाले राम भक्तों को भी उचित सम्मान दिया जाना चाहिए. कुछ सदस्यों ने इन राम भक्तों की मूर्तियां जगह-जगह पर लगवाने का प्रस्ताव किया तो कुछ ने इनके नाम पर अयोध्या की सड़कों-चौराहों के नामकरण का प्रस्ताव दिया है. इस प्रस्ताव को स्वीकार करने में सबसे बड़ी बाधा यह रही कि राम मंदिर आंदोलन में अपने प्राण गंवाने वाले राम भक्तों की संख्या की ठीक-ठीक जानकारी नहीं है.
करीब 500 साल लंबे चले राम मंदिर आंदोलन में हजारों लोगों के मारे जाने का दावा किया जाता है. साल 1990 के दशक में चले आंदोलन से पूर्व के आंदोलनों में अपने प्राण गंवाने वाले राम भक्तों के विषय में सटीक सूचना पाना भी कठिन हो सकता है. इनकी संख्या भी बहुत अधिक हो सकती है और इस कारण सबकी मूर्तियां बनवाना संभव नहीं हो सकता है. यही वजह है कि अपने प्राण गंवाने वाले ऐसे सभी राम भक्तों के लिए अलग-अलग मूर्तियां बनवाने के विचार को उपयुक्त नहीं पाया गया.
सबसे अधिक सहमति इस बात पर बन रही है कि जितने भी राम भक्तों के आंदोलन में मारे जाने की बिल्कुल सटीक सूचना है, उन्हें एक म्यूजियम में स्थान दिया जा सकता है. लाइट एंड साउंड शो और चलचित्र प्रदर्शनी के माध्यम से इन राम भक्तों की आंदोलन में भूमिका को याद किया जा सकता है और इसके माध्यम से उन्हें सम्मान दिया जा सकता है.
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