UP News : आतंकवादियों को पकड़ने में नाकाम रही यूपी की हाईटेक पुलिस

Sandesh Wahak Digital Desk/Ganesh Ji Verma: आम आदमी पर आये दिन कहर ढ़ाने वाली लखनऊ पुलिस दो आतंकवादियों को पकड़ने में नाकाम रही। हालांकि यह सिर्फ आतंकवादियों का ही मामला नहीं है, कई ऐसे मामलों का पर्दाफाश भी पुलिस नहीं कर पाई है जो कई वर्ष पहले हुए हैं। ऐसे में यदि कहा जाये कि आतंकवादियों से जुड़े मामलों में पुलिस लापरवाह है तो गलत नहीं होगा। हर संसाधन होने के बाद भी पुलिस ने मामले में चार्जशीट लगाकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ली।

कोर्ट परिसर में मचा हड़कंप

बता दें कि 27 फरवरी 2007 को खतरनाक आतंकी सईद उर्फ अबू रिजवान उर्फ भानू, उर्फ फहद उर्फ निशार अहमद पुत्र अनवर और मकसूद अहमद उर्फ अशफाक अबू उस्मान उर्फ सलमान खान उर्फ अबू मूजाहिद पुत्र मोहम्मद इब्राहिम निवासी सिंधु, पाकिस्तान को लखनऊ पुलिस सिविल कोर्ट में हाजिर कराने लाई थी। आतंकियों को दरोगा अवधेश राय, सिपाही अमित कुमार और रामनरेश लेकर पहुंचे थे। कोर्ट में दोनों लघुशंका के लिए बाथरूम में घुसे। थोड़ी देर बाद जब दोनों आतंकवादी बाहर निकले तो अहसलों से लैस थे। वे अंधाधुंध फायरिंग करने लगे। इससे कोर्ट परिसर में हड़कंप मच गया और दोनों आतंकवादी फरार हो गए।

सूत्र बताते हैं कि सुनियोजित तरीके से बाथरूम में असहले रखे गए थे। इस मामले में प्रदेश के एक बाहुबली विधायक का नाम भी आया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष बली राम सरोज ने इस मामले में धारा 223, 224, 225, 12 सीआईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। जांच में तीनों पुलिसकर्मियों को लापरवाही के आरोप में वर्ष 2008 में निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में लगभग 16 वर्ष बाद भी पुलिस यह नहीं पता कर पाई की अभी तक दोनों आतंकवादी कहां छिपे हुए हैं। पुलिस ने 22 दिसम्बर 2018 को चार्जशीट लगा दी थी।

जेल बैरक करने की टे्रनिंग तो नहीं दे रहे आतंकवादी

लश्कर ए तैयबा से ट्रेनिंग लेने के बाद ये दोनों आतंकवादी हिंदुस्तान में तबाही मचाने आए थे। मकसूद ने लालकिले के सीआरपीएफ  कैंप पर हमला भी किया था फिर सईद के साथ वो अयोध्या पर हमले की फिराक में था। इसी दौरान लखनऊ में यूपी पुलिस ने दोनों को धर दबोचा। 26 मार्च 2003 को लखनऊ में गिरफ्तारी के वक्त इन दोनों के पास से एके 47 और गोला बारूद बरामद हुआ था।

गिरफ्तारी के बाद मकसूद के खिलाफ दिल्ली की पटियाला कोर्ट में मुकदमा चला और कोर्ट ने मकसूद को सजा ए मौत सुनाई। लेकिन इससे पहले की फांसी का फंदा इस खतरनाक आतंकी के गले तक पहुंचता, ये कानून को चकमा देने में कामयाब हो गया था।

सूत्रों का कहना है कि अब यही आतंकी हिंदुस्तान की जेलें कैसे टूटेंगी और कैसे पेशी पर पुलिस से मुकाबला करना होगा। इस बात की ट्रेनिंग दे रहे हैं। कश्मीर में पकड़े गये दो आतंकियों ने इस बात का खुलासा कश्मीर पुलिस के सामने किया था। कश्मीर पुलिस ने जब सईद और मकसूद के बारे में यूपी पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि लखनऊ से भागने के बाद ये दोनों मुजफ्फराबाद जा चुके हैं।

भागते हुए मकसूद को लगी थी गोली

खुफिया महकमे की मानें तो भागते वक्त मकसूद को पुलिस की गोली भी लगी थी। उसने लखनऊ के आसपास रह कर ही अपना इलाज कराया था। कुछ लोग इन दोनों आतंकियों तक पिस्टल पहुंचाने से लेकर इलाज कराने तक में मददगार बने थे। यूपी पुलिस से इन दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम भी है। मुजफ्फराबाद में इनका बैतुल मुजाहिदीन के नाम से कैंप चल रहा है। इस कैंप में अली और वली नाम के दो और आतंकी भी शामिल हैं।

इस मामले में मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह काफी पुराना मामला है। मैं मामले को देखता हूं, पता कराता हूं कि आखिर इसमें क्या हो रहा है।

उपेंद्र कुमार अग्रवाल, जेसीपी कानून व व्यवस्था

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