UP Politics: मिशन-2024 की खातिर मायावती की ‘सियासी नब्ज’ दबा रही भाजपा!
सत्ताधारी पार्टी व बसपा के गठबंधन की अटकलें तेजी से बटोर रहीं सुर्खिंयां, लंबे समय से जारी हैं भगवा खेमे की मेहरबानियां
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: सियासत में कोई स्थायी दुश्मन नहीं होता। ये चर्चित कहावत फिलहाल भाजपा और बसपा पर सटीक बैठ रही है। सियासी गलियारों में फिलहाल मिशन 2024 के मद्देनजर परस्पर धुर विरोधी दोनों दलों के बीच गठबंधन के कयास सुर्खियां बटोर रहे हैं।
हालांकि बसपा नेता और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इसका खंडन जरूर किया है। लेकिन भाजपा को कई बार समर्थन देकर यूपी में सरकार बनाने वाली मायावती पर सत्ताधारी पार्टी की मेहरबानी यूं ही नहीं है। लगता है कि मायावती लालू यादव जैसा हश्र अपना नहीं चाहती हैं।
सीबीआई ने एक तरह से बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला मानो बंद कर दिया है। मायावती पर भगवा खेमे की ये पहली मेहरबानी नहीं है। बसपा नेताओं और मायावती के करीबी अफसरों के खिलाफ जारी भ्रष्टाचार के मामलों की जांचें एक इंच भी आगे नहीं बढ़ रही हैं। मायावती सरकार के दौरान हजारों करोड़ के कई घोटालों की कलंक कथा लिखी गयी थी। जिसमें सबसे बड़ा नाम स्मारक घोटाले का है।
स्मारक घोटाले की विजिलेंस जांच ठंडे बस्ते
भाजपा सरकार की मेहरबानी से स्मारक घोटाले की विजिलेंस जांच न सिर्फ ठंडे बस्ते में है बल्कि ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है। मिशन 2024 के लिहाज से सीबीआई और ईडी ने अरबों के चीनी मिल घोटाले की जांच को भी सिर्फ फाइलों में कैद कर रखा है। इसी घोटाले में मायावती सरकार के दौरान मुख्यमंत्री सचिवालय में सबसे प्रमुख पद पर बैठे ताकतवर आईएएस के खिलाफ सीबीआई ने जांच करने की मंजूरी योगी सरकार से मांगी थी। ये वरिष्ठ आईएएस योगी सरकार में नौकरशाही के बेहद अहम ओहदे पर बैठा हुआ है।
सीबीआई जांच में भी फंसी है मायावती की गर्दन
ताज कॉरिडोर घोटाले की सीबीआई जांच में भी मायावती की गर्दन फंसी हुई है। जिसका जिन्न कुछ समय पहले बाहर आया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के सचिव रहे नेतराम के ऊपर 2019 में आयकर महकमें के अफसरों ने छापे मारे थे। करीब एक हजार करोड़ के आर्थिक साम्राज्य का खुलासा हुआ। करीब ढाई सौ करोड़ की 19 सम्पत्तियां आयकर विभाग ने जब्त की। इसके बाद आयकर अफसर भी चुप्पी साध गए। नेतराम के पास मुंबई, कोलकाता और दिल्ली समेत कई बड़े शहरों में आलीशान घर थे। आयकर विभाग को मिली 30 फर्जी कंपनियों के ऊपर शिकंजा नहीं कसा गया।
खासबात ये है कि पूर्व कद्दावर आईएएस नेतराम 50 लाख की पेन से लिखते हैं आयकर छापे में चार पेन करीब दो करोड़ की बरामद हुई थी। जांच आगे बढ़ती तो लपटें मायावती तक भी आने का अंदेशा था। ईडी ने भी नेतराम के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच करना मुनासिब नहीं समझा। मिशन 2024 के खातिर सियासी गलबहियों का तानाबाना लम्बे समय से बुना जा रहा था। इन्ही सब कारणों से मायावती की भाजपा को लेकर नरमी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
भाई आनंद कुमार ने फर्जी कंपनियों से खड़ा किया बेनामी साम्राज्य
सिर्फ यही नहीं बसपा सुप्रीमो मायावती के भाई आनंद कुमार की गर्दन भी आयकर और ईडी समेत तमाम केंद्रीय एजेंसियों की जांच में फंसी है। आनंद कभी नोएडा प्राधिकरण में अदने से क्लर्क थे। लेकिन फर्जी कंपनियों से हुई काली कमाई ने उन्हें कई हजार करोड़ का मालिक बना दिया। हाल ही में खुलासा हुआ था कि आनंद ने 46 फीसदी छूट पर 261 फ्लैट खरीदे थे। 18 हजार गुने से तेज रफ्तार से उनकी सम्पत्तियां बढीं। आयकर ने 400 करोड़ की बेनामी सम्पत्तियां जब्त भी की थी। यही नहीं आनंद और उनकी पत्नी विचित्रलेखा के खातों में आरबीआई की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने ढाई-ढाई हजार करोड़ के लेनदेन भी पकड़े थे। जिसकी जांच लंबे समय से दफन है।
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