सुनिए सरकार! आंसू बनकर छलक रहा प्रदेश के सैकड़ों राज्य कर अफसरों का दर्द

वर्षों से असिस्टेंट कमिश्नर को अपने तबादलों का इन्तजार, क्या इस बार भी ताकतवर सिंडिकेट अपने मकसद में होगा कामयाब

Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : वर्षों से अपने तबादले की बाट जोह रहे राज्य कर विभाग के सैकड़ों अफसरों का दर्द अब छलकने लगा है। कोई कैंसर का मरीज है तो किसी का परिवार और बच्चे उससे काफी दूर हैं। एक महिला अफसर अपने स्पेशल चाइल्ड के वास्ते आंखों में आंसू लिए अफसरों की चौखट घिसने को मजबूर है। कुछ अफसरों की तो शादियां तक स्थगित होने की खबर है। कपल और मेडिकल पॉलिसी को भी मानो दरकिनार कर दिया गया है। एक महिला अफसर तो यहां तक बोल बैठीं कि लगता है सुसाइड कर लूं। ऐसे तमाम मार्मिक किस्से राज्य कर विभाग की फिजाओं में लम्बे समय से तैर रहे हैं। इसके बावजूद तबादलों के नाम पर सिर्फ आश्वासन दिये जा रहे हैं।

तबादला नीति से जागी उम्मीदें तोड़ रही दम

मुख्यमंत्री योगी जैसे सख्त प्रशासक के बावजूद राज्य कर विभाग के अफसरों को लगने लगा है कि इस बार भी तबादला रुकवाने में जुटी ताकतवर लॉबी क्या अपने मकसद में सफल हो जायेगी। दरअसल राज्य कर विभाग में तकरीबन 600 असिस्टेंट कमिश्नर रैंक के अफसरों के तबादले वर्षों से रुक रहे हैं। इस बार तबादला नीति के आने के बाद जगी उम्मीद भी दम तोड़ गयी। अफसरों का कहना है कि देर से तबादला होने के बाद हमें बच्चों की स्कूलों की फीस नए सिरे से जमा करनी होगी।

कानपुर में तैनात एक असिस्टेंट कमिश्नर कैंसर के मरीज बताये जा रहे हैं जिनका परिवार प्रयागराज में है। दो वर्षों से इनकी अर्जी सिर्फ फाइलों की शोभा बढ़ा रही है। तैनाती के वास्ते सचल दल में एक साल, एसआईबी में दो साल और सेक्टर में तीन वर्ष का प्रावधान है। इसके बावजूद प्रदेश भर के 150 सचल दलों में संवेदनशील तैनातियों पर तैनात अफसरों का चौथा साल शुरू होने जा रहा है।

अफसरों की तैनातियां बन चुकी धन उगाही का जरिया

इससे जहां कई अफसर खुद को थका महसूस कर रहे हैं, वहीं कुछ के लिए यही तैनातियां करोड़ों की धन उगाही का जरिया बन चुकी है। 2018 बैच के जिन 38 असिस्टेंट कमिश्नर को खुद मुख्यमंत्री  ने नियुक्ति पत्र बांटे, वे भी वर्षों से तैनाती की बाट जोह रहे हैं। तैनातियां न मिलने से कई युवा अफसरों की शादियां तक स्थगित होने की खबर सुर्खियां बटोर रही है। ऐसे भी तकरीबन डेढ़ सौ अफसर हैं, जिनको स्थायी तैनाती देने से भी शीर्ष स्तर को कोई सरोकार नहीं है। राजस्व वसूली प्रभावित होने की चिंता आखिर किसे है।

तमाम महिला अफसर आंखों में आंसू लिए विभागीय कमिश्नर से लेकर शासन स्तर तक अपनी व्यथा सुना रही हैं। इन अफसरों के अवकाश खत्म होने पर इन्हे वापस सैकड़ों किमी दूर भेजने के लिए आदेश जारी हो रहे हैं। ऐसे में इनकी मुश्किलें और बढऩी तय हैं।

मुख्यमंत्री योगी सख्त, तबादला रुकवाने का रैकेट, दो अफसर प्रतीक्षारत

बुधवार को राज्य कर विभाग की कमिश्नर मिनिस्ती एस के स्टाफ अफसर ज्वाइंट कमिश्नर राजेश प्रताप सिंह चंदेल को अचानक प्रतीक्षारत कर दिया गया और वाणिज्य कर अधिकारी कपिल देव तिवारी को बाध्य प्रतीक्षारत कर दिया गया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक ये निर्णय मुख्यमंत्री योगी की सख्त नाराजगी पर उठाया गया है। इसे राज्य कर विभाग में तबादला रुकवाने के तगड़े रैकेट से जोड़कर देखा जा रहा है।

क्या कहता है वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ

उत्तरप्रदेश वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के महासचिव प्रदीप कुमार पटेल का कहना है कि सरकार जिसे जहां चाहे तैनात कर दे, लेकिन अफसरों के तबादले तो करे। वर्षों से रुके तबादलों से न सिर्फ अफसरों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है बल्कि राजस्व पर भी असर पड़ रहा है। संघों ने 20 से ज्यादा पत्र लिखे हैं। तबादले न होने से कई अफसरों की समस्याएं बेहद बढ़ चुकी हैं।

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