UP : बेशुमार सम्पत्तियों वाले आरडीएसओ अफसरों पर नहीं कसा शिकंजा
सीबीआई के छापों में मिले बेनामी साम्राज्य के बावजूद ईडी ने नहीं दर्ज किया मनी लॉन्ड्रिंग का केस
Sandesh Wahak Digital Desk : बीते वर्षों में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) के तमाम भ्रष्ट अफसरों पर सीबीआई ने शिकंजा कसा, लेकिन इनकी अकूत सम्पत्तियों को आज तक न ही जब्त किया गया और न ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई की।
दो साल पहले आरडीएसओ के निदेशक दूरसंचार नवनीत कुमार वर्मा के लखनऊ, मऊ और जौनपुर के चार ठिकानों पर छापेमारी हुई थी। जिसमें पाया गया कि वर्मा ने 2015 से 2017 के बीच करीब 80 करोड़ की अकूत सम्पत्तियां बनाई थी। छापों में तमाम सम्पत्तियों से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। उसके बावजूद ईडी ने पीएमएलए एक्ट के तहत ईसीआईआर दर्ज नहीं की। पत्नी गुंजा वर्मा के पास भी करीब एक करोड़ की सम्पत्तियां मिली थी।
इस रेलवे अफसर के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति की जांच मानो फाइलों में उलझकर रह गयी। जबकि नवनीत के घोटालों में कई अफसर फंसे हैं। इसके बाद बारी चार वर्ष पहले रंगे हाथों 50 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार वरिष्ठ अनुभाग अधिकारी प्रशासन रविंद्र दुबे की है। दुबे की सम्पत्तियों को भी बख्श दिया गया।
आठ अफसरों और चार निजी फर्मों के खिलाफ केस दर्ज
इसी तर्ज पर दिसंबर 2017 में रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण में इस्तेमाल होने वाले कॉपर वायर की सप्लाई में हुए घोटाले पर सीबीआई ने आरडीएसओ के तत्कालीन डीजी आरडीएसओ प्रमोद कृष्ण श्रीवास्तव, राइट्स और कोर के आठ अफसरों और चार निजी फर्मों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
लखनऊ, नोएडा, इलाहाबाद, कानपुर, दिल्ली, सोनीपत, फरीदाबाद, कपूरथला और वाराणसी स्थित ठिकानों पर छापेमारी भी हुई। जहां से बड़े पैमाने पर बैंक खातों और संपत्तियों के दस्तावेज मिले। वर्ष 2005 से 2016 के बीच हुए इस घोटाले में रेलवे को करीब पौने आठ करोड़ की चपत फर्जी बिलों के जरिए लगाई गई।
आरडीएसओ अफसरों की सम्पत्तियों को इस बार भी बख्श दिया गया और ईडी ने भी मनी लांड्रिंग का केस नहीं दर्ज किया। सीबीआई ने रेलवे ट्रैक पर कराये जा रहे ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन के काम के लिए करोड़ों के फर्जी भुगतान घोटाले में प्रयागराज के आरडीएसओ इंजीनियर एमके सिंह की भूमिका पाई थी। कंपनियों को रेलवे अफसरों ने बेहिसाब ठेके देकर उपकृत किया था। इस बार भी ईडी अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे।
अरबों के माल भाड़ा घोटाले में फंसे थे सैकड़ों अफसर
रेलवे की भार मशीनों से छेड़छाड़ को लेकर सीबीआई ने देश के 65 इलेक्ट्रॉनिक इन मोशन वेट ब्रिजेज में छापा मार कर तकरीबन सवा चार हजार करोड़ के घोटाले का खुलासा किया था। देश भर में करीब 500 ऐसे अफसरों के बारे में पता लगाया गया, जो घोटाले में शामिल थे।
माल भाड़ा घोटाला बीते कई वर्षों से जारी था। मशीनों में छेड़छाड़ की वजह से माल से भरी बोगियां तय मानकों से ज्यादा नहीं दिखती थीं। आरडीएसओ के सबसे बड़े घोटाले में फंसे करीब पांच सैकड़ा रेलवे अफसरों के दबाव में सीबीआई की जांच कभी परवान ही नहीं चढ़ सकी। जबकि रेलवे अफसरों और निजी ठेकेदारों के सिंडिकेट ने हजारों करोड़ की खुली लूट की थी।
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