UP: मलिन बस्तियों की तस्वीर बदरंग, चमक रहीं बिल्डरों की कॉलोनियां
सीएम योगी की सख्ती के बाद अफसरों द्वारा करोड़ों रुपए फूंकने के खेल पर शिकंजा कसने का खाका तैयार
Sandesh Wahak Digital Desk : मलिन बस्तियों की आड़ में अफसर बिल्डरों और प्राइवेट कॉलोनाइजर्स द्वारा बसाई कॉलोनियों के विकास पर करोड़ों का सरकारी धन खर्च करते हैं। सरकारें भले बदलती रहीं, लेकिन अफसरों के इस खेल पर लगाम नहीं कसी। योगी सरकार ने बिल्डरों की अनियोजित कॉलोनियों को झटका देने की पूरी तैयारी की है।
नगर विकास विभाग के इस प्रस्ताव को जल्द ही अमलीजामा पहनाया जायेगा। जिसके बाद निकाय क्षेत्रों के अलावा सरकारी पैसे से विकास कार्यों को कराना अफसरों को मंहगा पड़ेगा।
दरअसल 2017 में तत्कालीन प्रमुख सचिव नगर विकास मनोज कुमार सिंह ने सूडा निदेशक को एक पत्र भेजा था। जिसमें निजी डेवलपर द्वारा बसाई बस्ती को छोडक़र अल्प विकसित और मलिन बस्तियों में बुनियादी विकास कार्य कराये जाने के निर्देश मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के तहत दिए गए थे। लेकिन अफसरों ने बिल्डरों की बसाई कॉलोनियों पर सरकारी धन से विकास कार्यों की दरियादिली दिखाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी।
सरकारी धन की हो रही बर्बादी
अब मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के नियमों में बदलाव करने के लिए नगर विकास के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने खाका खींचा है। निकायों के अफसरों के लिए अब बिल्डरों के वास्ते सरकारी धन की बर्बादी टेढ़ी खीर साबित होगा। योजना के नए नियमों के मुताबिक निजी सोसाइटी या बिल्डर द्वारा बसाई गई बस्तियों में सरकारी धन से नाली निर्माण, पेयजल, मार्ग प्रकाश, इंटरलाकिंग जैसे विकास कार्य नहीं कराए जा सकेंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार ने बनाई रणनीति
हालांकि इसका बड़ा असर उन आम लोगों पर भी पड़ेगा। जिनसे पैसा लेने के बावजूद बिल्डर आधे अधूरे विकास कार्य कराकर आशियानों को बेच देते हैं। मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना के तहत यूपी सरकार भारी बजट दे रही है। करोड़ों खर्च होने के बावजूद मलिन बस्तियों की तस्वीर बदलने की बजाय और बदरंग होती जा रही है। वहीं आसपास की निजी कॉलोनियों में मानो विकास की गंगा अफसर बहा रहे हैं। इसीलिए योगी सरकार ने इस खेल पर शिकंजा कसने की रणनीति बनाई है।
बड़े विकास प्राधिकरणों में भी हो रहा खूब खेल
यही हाल प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों का भी है। बड़े बिल्डरों की टाऊनशिपों के लिए करोड़ों रूपए विकास कार्यों के नाम पर फूंके जाते हैं। वहीं प्राधिकरणों की अपनी आवासीय योजनाएं बजट के लिए तरसती रहती हैं। लखनऊ में गोमतीनगर विस्तार और सुल्तानपुर रोड पर इसकी नजीर भी देखि जा सकती है।
सीएम योगी ने दिए थे निर्देश, डीएम बनेंगे जवाबदेह
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी ने बैठक करके मलिन बस्तियों के संबंध में अफसरों को निर्देश दिए थे। जिसमें इन बस्तियों में पीपीपी मॉडल पर फ़्लैट बनाना भी शामिल है। नए प्रस्ताव के मुताबिक मलिन बस्तियों की डीपीआर सीधे सबंधित जिलों के डीएम की देखरेख में तैयार होगी। जिससे जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
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