संपादक की कलम से : चावल संकट और भारत
Sandesh Wahak Digital Desk : भारत सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे अमेरिका समेत कई देशों में भीषण कमी हो गयी है। यहां कालाबाजारी और जमाखोरी तेज हो गयी है। मामला अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष तक पहुंच चुका है। वहीं अमेरिका समेत तमाम देश भारत को प्रतिबंध हटाने के लिए मनाने में जुटे हैं।
सवाल यह है कि :-
- भारत ने गैर-बासमती चावल पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
- क्या सूखे की आशंका और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए यह कदम उठाया गया है?
- क्यों विश्व के तमाम देश चावल की कमी से जूझ रहे हैं?
- क्या रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने अमेरिका और यूरोपीय देशों की खाद्य आपूर्ति की श्रृंखला को बिगाड़ दिया है?
- क्या केवल भारत के भरोसे दुनिया के देशों के खाद्यान्न संकट को कम किया जा सकता है?
- आखिर रूस-यूक्रेन की जंग को समाप्त कराने की पहल क्यों नहीं की जा रही है?
- क्या तापमान में लगातार हो रहा बदलाव खाद्यान्न संकट का एक अहम कारण है?
आज पूरी दुनिया एक ग्लोबल गांव में तब्दील हो चुकी है। सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे जुड़ी है। खाद्यान्न आपूर्ति के मामले में भी यही हाल है। भारत और चीन जैसे बड़ी आबादी वाले देशों के सामने अपनी जनता को पर्याप्त खाद्यान्न उपलब्ध करना बड़ी चुनौती है। भारत न केवल कृषि प्रधान देश है बल्कि खाद्यान्न उत्पादन में पूरी तरह आत्मनिर्भर है। वह अमेरिका समेत तमाम देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति करता है।
निर्यात पर प्रतिबंध से कई देशों में इसकी भारी कमी
देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी लगभग 25 प्रतिशत है। भारत से गैर-बासमती सफेद चावल मुख्य रूप से थाईलैंड, इटली, स्पेन, श्रीलंका और अमेरिका में निर्यात होता है। अकेले अमेरिका को हर महीने छह हजार टन गैर-बासमती चावल निर्यात किया जाता है। ऐसे में इसके निर्यात पर प्रतिबंध से इन देशों में इसकी भारी कमी हो गई है।
दरअसल, ये प्रतिबंध सरकार ने ऐसे ही नहीं लगाए है। इसकी सबसे बड़ी वजह असामान्य बारिश है। इससे धान की फसल प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। इससे चावल उत्पादन घट सकता है। निर्यात जारी रखने से इसके भंडारण पर असर पड़ेगा। ऐसे में यदि चावल की कमी हुई तो महंगाई तेजी से बढ़ेगी।
यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो सकती है लेकिन अमेरिका व अन्य देशों में चावल की कमी का कारण केवल भारत ही नहीं है। रूस और यूक्रेन युद्ध भी इसके लिए जिम्मेदार है। रूस ने अमेरिका व अन्य देशों से ग्रेन डील रद्द कर दी है। वहीं बढ़ता तापमान फसलों की उत्पादकता को प्रभावित कर रहा है। मसलन चीन की धान की फसल तीस फीसदी तक तबाह हो चुकी है। इन सब कारणों ने हालात बिगाड़ दिए है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ही भारत ने प्रतिबंध लगाया है। साफ है आने वाले दिनों में दुनिया के तमाम देशों में खाद्यान्न संकट के गहराने का खतरा बढ़ गया है।
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