यूपी में IAS-IPS अफसरों को जांच में क्लीन चिट देने की रफ्तार “वंदे भारत” से भी तेज
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: मुख्यमंत्री योगी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर मुखर हैं। तभी कई अफसरों को बाकायदा सेवा से जबरिया रिटायर तक किया गया। इसके बावजूद यूपी में आईएएस और आईपीएस अफसरों को गंभीर मामलों की जांचों में क्लीन चिट से नवाजने की रफ्तार वंदे भारत से भी तेज दिखाई दे रही है।
सीएम योगी की सख्ती के बावजूद नौकरशाही बेफिक्र
हाल ही में लखनऊ के चर्चित सर्वेश साहू हत्याकांड की सीबीआई जांच में लापरवाही की दोषी आईपीएस मंजिल सैनी को क्लीन चिट दी गयी है। जबकि सैनी को देश की शीर्ष एजेंसी ने दोषी पाते हुए विभागीय जांच की सिफारिश की थी। यही नहीं इसी मामले में दोषी तत्कालीन डीएम लखनऊ जीएस प्रियदर्शी के खिलाफ भी जांच की सिफारिश सीबीआई ने की थी, लेकिन नियुक्ति विभाग के अफसरों के पास ऐसा कोई पत्र आज तक पहुंचा ही नहीं।
आईपीएस मंजिल सैनी से पहले भी संगीन मामलों में बड़े अफसरों को मिली है राहत
अगला नंबर नोएडा के पुलिस कप्तान रहे आईपीएस वैभव कृष्ण की उस रिपोर्ट का है। जिसमें आईपीएस अजय पाल शर्मा, सुधीर सिंह, गणेश साहा, हिमांशु कुमार और राजीव नारायण मिश्रा का कच्चा चिटठा बयान किया गया था। लेकिन एक एक करके सभी आईपीएस अफसरों को जांच में क्लीनचिट मिलती गयी। अजय पाल को जौनपुर का एसपी तक बना दिया गया। इन अफसरों के ऊपर अवैध वसूली से लेकर सिंडिकेट चलाने के आरोप लगे थे।
इसी तरह आईपीएस अनंत देव तिवारी को भी बिकरू काण्ड में तीन हजार पन्नों से ज्यादा की रिपोर्ट के बावजूद बहाल कर दिया गया। इस आईपीएस के करीबी संबंध विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेयी से थे। तिवारी को क्लीनचिट से नवाजने वाले आईपीएस नीलाब्जा चौधरी के खिलाफ मुख्य सचिव और केंद्रीय गृह मंत्रालय की संयुक्त टीम को जांच करनी थी। ऐसा प्रतीत होता है इसमें भी क्लीनचिट ही दी गयी है।
पावर कार्पोरेशन में 40 हजार कर्मियों की भविष्य निधि हड़पने का खेल
बारी अब पीएफ घोटाले की है। पावर कार्पोरेशन में 40 हजार कर्मियों की भविष्य निधि हड़पने के खेल में सीबीआई ने तीन आईएएस को जांच के दायरे में लाने के लिए पूछताछ की अनुमति सरकार से मांगी थी। लेकिन योगी सरकार के जिम्मेदारों की नजर में तीनो आईएएस अफसर क्लीनचिट के हकदार निकले। नतीजतन पीएफ घोटाले की सीबीआई जांच आजतक एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी।
इस सूची में पूर्व आईएएस संजय अग्रवाल, आलोक कुमार और मौजूदा सचिव बेसिक शिक्षा अपर्णा यू का नाम शामिल था। अपर्णा फिलहाल आंध्रप्रदेश कौशल विकास मिशन घोटाले में अग्रिम जमानत पर चल रही हैं। इसी तरह प्रमुख सचिव समाज कल्याण हरिओम के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने जांच के बाद बलिया में हुए अनाज घोटाले के मामले में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। लेकिन नियुक्ति विभाग ने इसे भी देने से मना कर दिया।
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