संपादक की कलम से : सड़क हादसों से सबक कब ?
Sandesh Wahak Digital Desk : यूपी के उन्नाव में दो दिन पहले हुए सड़क हादसे में तीन बेटियों समेत मां की मौत हो गयी। एक अन्य बेटी गंभीर रूप से घायल है और उसका इलाज किया जा रहा है। इस प्रकार के सड़क हादसे अक्सर हो रहे हैं और यह घटना यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश की सड़कें खूनी होती जा रही हैं। परिवहन विभाग के रोड सेप्टी सेल की सड़क हादसों और इसमें जान गंवाने वालों की संख्या पर आई रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करती है।
सवाल यह है कि :-
- सरकार के तमाम कवायद के बावजूद सड़क हादसे साल-दर-साल बढ़ते क्यों जा रहे हैं?
- क्या यातायात नियमों का उल्लंघन, नशे और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाना और अप्रशिक्षित वाहन चालकों की वजह से दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है?
- सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान का असर लोगों पर क्यों नहीं पड़ रहा है?
- क्या यातायात पुलिस की लापरवाही के कारण हालात बदतर होते जा रहे हैं?
- क्या जर्जर और बिना मानक के बनी सड़कें दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं?
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्थितियों पर नियंत्रण क्यों नहीं लग पा रहा है?
उत्तर प्रदेश में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है। परिवहन विभाग की रोड सेफ्टी सेल की रिपोर्ट के मुताबिक एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 की अवधि में उत्तर प्रदेश के 75 जनपदों में हुए सड़क हादसों में कुल 22595 मौतें हुई। इनमें से 20 जिलों में ही 43 फीसदी यानी 9715 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इनमें राहगीर से लेकर बाइक और कार सवार शामिल थे।
इस दौरान अकेले लखनऊ में 920 सड़क हादसे हुए जिसमें 360 लोगों की मौत हुई और 630 लोग जख्मी हुए। यह रिपोर्ट प्रदेश में होने वाले सडक़ हादसों की भयावहता की पुष्टि करती है। इन हादसों के पीछे कई वजहें हैं। सड़क पर यातायात नियमों का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। दो पहिया से लेकर चार पहिया वाहन चालक शहर की सडक़ों से लेकर हाईवे तक पर निर्धारित गति सीमा का पालन नहीं करते हैं।
ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए यातायात पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं
ये चालक रेड सिग्नल को भी जंप कर जाते हैं और यातायात पुलिस देखती रहती है। जिन चौराहों पर सिग्नल नहीं है वहां ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए यातायात पुलिस की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इसके अलावा नशे में और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने के कारण भी हादसों की संख्या बढ़ी है। जर्जर और गड्ढायुक्त सड़कें और मानकविहीन स्पीड ब्रेकर भी हादसों को न्योता दे रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी गड्ढायुक्त स सड़कों के कारण हुए हादसों पर अपनी चिंता जता चुका है बावजूद इसके व्यवस्था में सुधार नहीं हो सका है। ऐसे में यदि सरकार सड़क हादसों पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे न केवल सड़कों और यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा बल्कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी करनी होगी। साथ ही लोगों को यातायात नियमों के पालन के लिए जागरूक भी करना होगा।
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