संपादक की कलम से : मानसून में सूखे के आसार
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तर प्रदेश में मानसून की दोहरी मार पड़ रही है। एक ओर कई जिलों में बाढ़ के हालात है तो दूसरी ओर बारिश नहीं होने से सूखे के आसार दिखने लगे हैं। पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपाई नहीं हो पा रही है जबकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में सब्जियों की खेती चौपट हो गयी है, अगर कुछ दिन और ऐसी ही स्थिति बनी रही तो प्रदेश के खाद्यान्न और सब्जी उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा। इससे महंगाई और बढ़ेगी।
सवाल यह है कि :-
- मौसम के उतार-चढ़ाव के मद्देनजर सरकार किसानों को राहत देने के लिए कोई ठोस योजना क्यों नहीं बनाती है?
- किसानों को ऐसे समय में कम पानी वाली फसलों की खेती के लिए क्यों नहीं प्रोत्साहित किया जाता है?
- कम बारिश वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां पर्याप्त सिंचाई के साधनों का विस्तार क्यों नहीं किया जा रहा है?
- क्या किसानों को खेती की जरूरी सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का दायित्व नहीं है?
- क्या संभावित सूखे से निपटने के लिए सरकार ने कोई योजना बनाई है?
पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण प्रदेश की कई नदियां उफान पर हैं। गंगा, यमुना समेत कई नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है और अभी तक करीब सोलह जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इसके कारण हजारों हेक्टयर फसल बर्बाद हो गई है। वहीं प्रदेश के 38 जिलों में नाममात्र की बारिश होने के कारण सूखे की आशंका बढ़ गयी है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 31 जिलों में जुलाई में 60 प्रतिशत से कम वर्षा हुई है जबकि सात जिलों में 40 प्रतिशत से भी कम बारिश हुई है। आमतौर पर इसी समय धान की रोपाई की जाती है लेकिन बारिश नहीं होने के कारण रोपाई प्रभावित हो रही है। प्रदेश के आधे हिस्से में अभी तक धान की रोपाई नहीं शुरू हो सकी है।
सिंचाई के अभाव में धान की फसल को हो सकता है नुकसान
यदि यही स्थिति रही है तो सिंचाई के अभाव में धान की उपज पर विपरीत असर पड़ना तय है। बाजरे की बोवाई एक हजार हेक्टेयर में से अब तक 532 हेक्टेयर में ही हो पाई है। यही हाल सब्जियों का है। जिन जिलों में बाढ़ आई है वहां हरी सब्जियों की फसल चौपट हो चुकी है जबकि अन्य जिलों में सिंचाई के अभाव में यह फसल खराब हो रही है। वहीं मौसम विभाग फिलहाल पूर्वी उत्तर प्रदेश के इन जिलों में सीमित बारिश के आसार जता रहा है। साफ है स्थितियां बहुत अच्छी नहीं दिख रही है।
सच यह है कि मौसम आधारित कृषि के कारण फसलों का उत्पादन बारिश पर ही निर्भर करता है। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी स्थिति में किसानों को पहले से ही बारिश की बेरुखी की सूचना उपलब्ध कराए और उन्हें कम सिंचाई वाली फसलों के उत्पादन को प्रेरित करे। इसके अलावा सरकार को सूखे से किसानों को राहत देने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना बनानी और इसको प्रभावी ढंग से लागू करानी होगी। समस्या का स्थायी हल निकाले बिना हालात में कोई सुधार नहीं होगा।
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