UP Roadways: महफूज नहीं सफर, चालू वर्ष में रोडवेज की आठ बसों में लगी आग 

करोड़ों रुपये के नुकसान के बावजूद स्थायी समाधान नहीं तलाश पाए विभागीय अधिकारी

Sandesh Wahak Digital Desk/Ajay Srivastava: उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसों की खस्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। टूटे शीशे, फटी सीटें और आवाज करती बसों की बॉडी इसकी पहचान बन चुकी है। वहीं कोढ़ में खाज यह कि चालू वर्ष में अब तक उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपी रोडवेज) की आठ बसें आग की भेंट चढ़ चुकी हैं। जबकि पिछले आठ माह के आंकड़ों पर गौर करें तो इनकी संख्या 11 है।

इससे परिवहन निगम प्रशासन को कई करोड़ रुपए की क्षति हुई है। इसमें जनरथ बस भी शामिल हैं। इसके बावजूद रोडवेज के अधिकारी इसका स्थाई समाधान नहीं खोज पाए हैं। वहीं रोडवेज के कुछ  अधिकारी यह मानते हैं कि आग लगने की प्रमुख वजह बसों की वायरिंग का नहीं बदला जाना है।

रास्ते में चलते चलते बसें आग का गोला बन जा रही हैं। हालांकि आग की घटनाओं में कोई जनहानि नहीं हुई है लेकिन परिवहन निगम को अच्छा खासा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवालिया निशान खड़े हुए हैं। जानकारों का कहना है कि रोडवेज की अधिकारी एसी कमरों में बैठकर इन घटनाओं को चुपचाप देखते रहे और इसको लेकर कोई ठोस उपाय नहीं तलाशे गए। जिसकी वजह से आए दिन ऐसी दुर्घटनाएं होती रहती हैं और आम जन को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।

करीब छह करोड़ से अधिक का हुआ नुकसान

इस वर्ष अब तक करीब आठ बसें आग की भेंट चढ़ चुकी हैं। अगर पिछले आठ माह का आंकड़ा लिया जाए तो 11 बसों में आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। जानकारों का कहना है कि आग की घटनाओं से अब तक पांच से छह करोड़ रुपए का नुकसान यूपी रोडवेज को हो चुका है।

शार्ट सर्किट है कारण, फिर भी नहीं बदली जाती वायरिंग

यूपी रोडवेज की अधिकांश बसों में आग का कारण शार्ट सर्किट बताया जाता है। अब सवाल उठ रहा है कि आखिरी आग लगने का कारण पता होने के बावजूद इस पर रोक क्यों नहीं लग पा रही है?  इसका जवाब खुद रोडवेज के अधिकारी देेते हैं। उनका कहना है कि नई बस आती है। करीब 10 वर्ष तक चलती है,पर इस दौरान एक बार भी वायरिंग बदली नहीं जाती है। इस कारण आग लगने की घटनाएं होती हैं।

दयाशंकर सिंह

मंत्री ने अधिकारियों को लगाई फटकार

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने जब अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। इसके बाद एसी कमरों से निकलकर ये अधिकारी बाहर आए। उन्होंने मई माह में ड्राइवर और कंडक्टर को प्रशिक्षित किया कि आग लगने की घटनाओं को कैसे रोका जाए? इसके बावजूद भी आग लगने की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पाई है। पिछले माह 29 जून को ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर चलती बस में आग लगी थी।

प्रमुख घटनाएं

  • 4 फरवरी 2023 को कानपुर से बरेली जा रही बस में फर्रुखाबाद में लगी आग।
  • 10 फरवरी 2023 को चारबाग बस स्टेशन के अंदर आलमबाग डिपो की बस यूपी 33 एटी 5334 में लगी आग।
  • 24 फरवरी 23 एटा में जीटी रोड स्थित रोडवेज बस स्टैंड दिल्ली से फर्रुखाबाद जा रही बस में आग लगी।
  • दो मार्च 2023 गुरुवार सहारनपुर से लखनऊ आ रही सहारनपुर डिपो की वातानुकूलित बस में चपरतला में लगी आग। 
  • 11 मई 2023 को आजमगढ़ जा रही जनरथ बस में शॉर्ट सर्किट से लगी आग।
  • 7 जून 2023 को बदायूं डिपो की फर्रुखाबाद से बदायूं जा रही बस में लगी आग।
  • 29 जून 2023 यूपीएसआरटीसी की बस में ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेसवे पर चलते समय लगी आग।

राज्य सड़क परिवहन निगम प्रवक्ता अजित सिंह ने बताया कि पूरी वायरिंग बदलना संभव नहीं होता है, लेकिन जांच में खराबी पाए जाने पर वायरिंग के खराब हिस्से को बदला जाता है। आग की घटनाओं का प्रमुख कारण ड्राइवर द्वारा म्यूजिक सिस्टम और अधिक लाइट लगाना है। इससे वायरिंग पर लोड पड़ता है और शार्ट सर्किट होता है।

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