विनय पाठक के रसूख ने सीबीआई व ईडी को बनाया ‘पिंजरे का तोता’

Sandesh Wahak Digital Desk : सीबीआई पिंजरे का तोता है, जिसके कई मालिक हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी तल्ख टिप्पणी यूं ही नहीं की थी। ईडी का नाम भी इसमें शामिल है। कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति विनय पाठक की नजीर सामने है।

आगरा विश्वविद्यालय में एमबीबीएस और बीएएमएस परीक्षा की कॉपियां बदलने के मामले में ईडी ने परीक्षा संबंधी कार्य करने वाली कार्यदायी संस्था डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी के मालिक डेविड मारियो डेनिस, छात्रनेता राहुल पाराशर और टेंपो चालक देवेंद्र सिंह को तकरीबन 24 घंटे की पूछताछ के बाद शुक्रवार को गिरफ्तार किया।

आगरा विवि के कुलपति रहते पाठक के आदेश पर दर्ज कराई एफआईआर पर ईडी ने जिस तेजी से डेनिस की गिरफ्तारी मनीलांड्रिंग कानून के तहत अंजाम दी। उसकी एक चौथाई सक्रियता भी अभी तक सीबीआई से लेकर ईडी ने रंगदारी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे विनय पाठक के खिलाफ जांच में नहीं दिखाई।

पाठक के खिलाफ पीएमएलए एक्ट के तहत ईसीआईआर भी नहीं दर्ज

अभी तक ईडी ने पाठक के खिलाफ पीएमएलए एक्ट के तहत ईसीआईआर भी नहीं दर्ज की है। यूपी सरकार की सिफारिश पर नई दिल्ली में सीबीआई की ऐंटी करप्शन यूनिट-दो ने पाठक के खिलाफ केस दर्ज किया था। आधा वर्ष गुजरने के बावजूद अभी तक पाठक के खिलाफ एक इंच भी सीबीआई जांच आगे नहीं बढ़ी, जबकि खुद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगाने से मई माह में ही साफ़ इंकार कर दिया था। डेनिस ने ही पाठक के खिलाफ अवैध वसूली की एफआईआर दर्ज कराई थी।

बाद में दबाव पड़ते ही डेनिस ही हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक विनय पाठक के खिलाफ सीबीआई जांच खत्म कराने के लिए याचिकाएं दाखिल कर रहा था। एसटीएफ की जांच में विनय पाठक का पूरा कच्चा चिटठा बेनकाब होने लगा था। तभी पूछताछ के लिए एसटीएफ के सामने कभी विनय पाठक हाजिर ही नहीं हुए। पाठक के ऊपर इसी आगरा विवि में करोड़ों की वसूली के संगीन आरोप लगे थे।

15 फीसदी कमीशन कुलपति इसी व्यक्ति के सहारे वसूलते

जिसके बाद ईडी ने एफआईआर कॉपी मंगाकर पीएमएलए एक्ट के तहत केस दर्ज करने की तैयारी भी शुरू की थी। जिसके लिए दिल्ली में ईडी के स्पेशल डायरेक्टर से अनुमति के दावे भी किये गए। पाठक के ऊपर सीधा आरोप था कि उनके करीबी अजय के बताये बैंक खाते में 73 लाख डाले गए और हर काम के एवज में 15 फीसदी कमीशन कुलपति इसी व्यक्ति के सहारे वसूलते थे।

बाइक बोट घोटाले में किस ईडी अफसर के भरोसे पर जांच मैनेज कराने के लिए पैसा वसूल रहा था गिरफ्तार दिनेश सिंह

बाइक बोट घोटाले में ईडी ने शुक्रवार को सपा के प्रदेश सचिव दिनेश कुमार सिंह को गिरफ्तार किया है। दिनेश इस घोटाले में फंसे उन लोगों से भारी रकम वसूल रहा था, जिनकी जांच का जिम्मा ईडी का था। वह अभियुक्तों को उनकी चल-अचल संपत्तियों को ईडी से मुक्त कराने के झूठे लालच देता था। सवाल लाख टके का है कि आखिऱकार ईडी के लखनऊ जोनल दफ्तर में किस अफसर के भरोसे पर दिनेश मनीलांड्रिंग की जांच को मैनेज कराने का ठेका ले रहा था।

आगरा पुलिस की क्लीनचिट, गोपनीय जांच में जुटी थी ईडी

ईडी की गजब तेजी के इतर आगरा पुलिस ने इसी मामले में कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में डेविड और डिजिटेक्स टेक्नोलॉजी को आरोपी नहीं बनाया था। छात्रनेता राहुल पाराशर और टेंपो चालक देवेंद्र सिंह भी गिरफ्तार होने के बाद जमानत पर बाहर आ गए थे। ईडी जिला पुलिस की तर्ज पर जितनी तेजी से इस मामले की गोपनीय जांच में जुटी थी। वो कई संगीन सवाल खड़े कर रहा है बीती 28 जून को ईडी ने गिरफ्तार आरोपियों के आगरा, लखनऊ, कानपुर, कासगंज, फिरोजाबाद, दिल्ली के ठिकानों पर छापे मारे थे। वहीं आधा दर्जन विवि में कुलपति रहे विनय पाठक के भ्रष्टाचार के मामले में ईडी ने चुप्पी साध रखी है।

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