केजीएमयू के नए वीसी के चयन को बनी सर्च कमेटी पर गंभीर सवाल
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : केजीएमयू के नए वीसी के चयन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सबसे अहम पैमाना होना चाहिए। इसके बावजूद नये वीसी के चयन के वास्ते बनाई गयी सर्च कमेटी में कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की नई परिभाषा साफ झलक रही है।
वीसी के चयन के लिए बनाई गयी सर्च कमेटी का काम आवेदकों में से चयनित चंद नामों को कुलाधिपति (राज्यपाल)आनंदीबेन पटेल के पास भेजना है। वीसी के नाम पर अंतिम मुहर कुलाधिपति ही लगाएंगी। कमेटी में राजभवन के प्रतिनिधि पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान, हाईकोर्ट द्वारा नामित सदस्य न्यायाधीश ओपी शुक्ला, केजीएमयू की एक्जीक्यूटिव काउन्सिल के सदस्य आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल शामिल हैं।
सर्च कमेटी पर ऐसा कोई प्रावधान लागू नहीं होता
विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी की गाइडलाइन ही आदर्श मानी जाती है। जिसमें वीसी के चयन के लिए बनाई सर्च कमेटी के संबंध में दिया है कि इसमें शामिल कोई भी सदस्य संबंधित यूनिवर्सिटी (जिसके लिए वीसी का चयन होना है) से किसी भी प्रकार से जुड़ा नहीं होना चाहिए। इस नियम से कमेटी की निष्पक्षता और पारदर्शिता की रक्षा होती है। केजीएमयू के वीसी के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी पर ऐसा कोई प्रावधान लागू नहीं होता है।
तभी सर्च कमेटी के संयोजक के तौर पर पीजीआई निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान को शामिल किया गया है। जबकि धीमान खुद केजीएमयू में प्रशासनिक फैसलों के लिए जिम्मेदार एक्जीक्यूटिव काउन्सिल के सदस्य हैं। जुलाई 2020 में प्रोफेसर धीमान पिछले वीसी डॉ एमएलबी भट्ट के हटने के बाद नए वीसी के आने तक केजीएमयू के कार्यवाहक वीसी तक बनाये गए थे। 1984 और 1987 में केजीएमयू से ही मेडिसिन में एमबीबीएस और एमडी की डिग्री प्रोफेसर धीमान ने ले रखी है।
पिछली बार भी विवादों के कारण नई सर्च कमेटी तक बनानी पड़ी
ऐसे में केजीएमयू के नए मुखिया के चयन में वाकई निष्पक्षता कायम हो सकेगी, ये एक गंभीर सवाल है। वीसी के चयन के लिए बनी तीन सदस्यीय सर्च कमेटी ने कुछ दिनों पहले ही हाईकोर्ट के अंदर दस आवेदकों के साक्षात्कार भी लिए हैं। हालांकि केजीएमयू के ऐक्ट में सर्च कमेटी के विषय में राजभवन के नामित प्रतिनिधि पर कुछ नहीं कहा गया है। नये वीसी के चयन के लिए बनी सर्च कमेटी पर सवाल पहली बार नहीं खड़े हुए हैं। पिछली बार भी विवादों के कारण नई सर्च कमेटी तक बनानी पड़ी थी।
क्या कहते हैं अपर मुख्य सचिव (राज्यपाल)
‘संदेश वाहक’ ने अपर मुख्य सचिव (राज्यपाल) सुधीर एम बोबडे से यूजीसी की गाइडलाइन का हवाला देकर पूछा कि सर्च कमेटी के सदस्य का जुड़ाव केजीएमयू से है, ऐसे में वीसी के चयन में क्या निष्पक्षता कायम रह सकेगी। इस पर अपर मुख्य सचिव का कहना है कि आपने बताया है, इसे देखते हैं।
मुझे जानकारी नहीं थी : पीजीआई निदेशक
पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान के सामने ‘संदेश वाहक’ ने यूजीसी की गाइडलाइन रखते हुए पूछा कि क्या आपने राजभवन को सूचित किया है कि आप केजीएमयू की एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य हैं तो उन्होंने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं थी। राजभवन को बताया जाएगा।
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