ISRO की बड़ी घोषणा, चांद पर पहुंचने से पहले Chandrayaan-3 ने पूरा किया अंतिम चरण

Sandesh Wahak Digital Desk: भारत का सबसे महत्वपूर्ण चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) मिशन चांद की तरफ लगातार अग्रसर है. इसी के साथ, चांद पर पहुंचने से पहले चंद्रयान-3 ने मंगलवार को अपना अंतिम चरण पूरा कर लिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि ने घोषणा की है कि अब यह समाप्त हो गया तो अंतरिक्ष यान चांद पर प्रवेश के लिए खुद को संरेखित कर लेगा.

लैंडर से संपर्क करेगा रोवर

बता दें कि चंद्रयान-3, पृथ्वी के चारों ओर अपनी कक्षा को लगातार ऊपर उठा रहा है और अपनी अंतिम यात्रा के लिए तैयार हो गया है. 3,900 किलोग्राम वजनी चंद्रयान पेलोड में एक लैंडर, रोवर और एक प्रोपल्शन मॉड्यूल शामिल है, जो चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी ध्रुवीय कक्षा तक पहुंचने तक एकीकृत रहेगा. मिशन के दौरान रोवर पूरी तरह से लैंडर से संपर्क करेगा.

यह मिशन भविष्य के अंतरग्रहीय प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण महत्व रखता है. मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) मंगलयान की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. सीता कहती हैं, ‘आगामी अंतरग्रही मिशनों के लिए सुरक्षित लैंडिंग महत्वपूर्ण है. चंद्रमा के लिए भव्य योजनाओं के साथ, भारत का लक्ष्य अच्छी तरह से तैयार होना है.’

एक चंद्र दिवस के बराबर 14 पृथ्वी दिवसों के अपने मिशन जीवन के दौरान, अंतरिक्ष यान कई इन-सीटू प्रयोगों का संचालन करेगा. यह चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र के पास थर्मल गुणों की जांच करेगा, भूकंपीय गतिविधि को मापेगा और चंद्र प्रणाली की गतिशीलता को समझने का प्रयास करेगा.

Chandrayaan-3

आतंक के 15 मिनट

पृथ्वी से चंद्रमा तक की यात्रा में लगभग एक महीना लगने का अनुमान है. लैंडिंग वर्तमान में 23-24 अगस्त के लिए निर्धारित है, चंद्रमा के सूर्योदय के आधार पर संभावित समायोजन के साथ. अगर जरूरत पड़ी तो इसरो सितंबर के लिए लैंडिंग को पुनर्निर्धारित करने पर विचार करेगा. इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन द्वारा इस लैंडिंग चरण को ‘आतंक के 15 मिनट’ के रूप में संदर्भित किया गया है, जो इसे मिशन की सफलता के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण बनाता है.

कब-कब हुई सफलतापूर्वक प्रक्रिया

15 जुलाई को चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक पृथ्वी की पहली कक्षा में प्रवेश किया था. इसके बाद 17 जुलाई को पृथ्वी की दूसरी और 18 जुलाई को पृथ्वी की तीसरी कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश किया था. उस समय चंद्रयान-3 अब पृथ्वी से 51400 किमी X 228 किमी दूर स्थित पृथ्वी की कक्षा में मौजूद था. इसके बाद 20 जुलाई को चंद्रयान-3 ने चौथी प्रक्रिया (अर्थ बाउंड ऑर्बिट मैन्यूवर) को भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था. मिशन चंद्रयान-3 ने 14 जुलाई को दोपहर 02:35 बजे श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी थी. योजना के अनुसार, यह 23 या 24 अगस्त को चांद पर उतरेगा. मिशन को चांद के उस हिस्से तक भेजा जा रहा है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता.

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