सम्पादक की कलम से : फ्रांस-भारत की बढ़ती दोस्ती के मायने
Sandesh Wahak Digital Desk: फ्रांस और भारत की दोस्ती लगातार गहरी होती जा रही है। दोनों न केवल एक दूसरे के साथ रक्षा बल्कि अन्य क्षेत्रों में अपनी साझेदारी तेजी से बढ़ाते जा रहे हैं। पीएम मोदी का दो दिवसीय फ्रांस दौरा इसी रणनीति साझेदारी को एक कदम और आगे बढ़ाने के लक्ष्य को लेकर किया गया है। खुद पीएम ने स्वीकार किया है कि दोनों देशों की प्रगाढ़ होती दोस्ती एक-दूसरे के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी भारत से संबंधों को मजबूत करने में जुटे हैं।
सवाल यह है कि :-
- दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होती दोस्ती के निहितार्थ क्या हैं?
- वे कौन से कारण है जिसके चलते फ्रांस और भारत को एक दूसरे की जरूरत महसूस हो रही है?
- क्या चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत को फ्रांस के हथियारों और उससे मजबूत संबंधों की दरकार है?
- क्या यूक्रेन में फेल होते रूसी हथियारों से भारत चिंतित है और इसका समाधान खोज रहा है?
- क्या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के हितों की सुरक्षा बढ़ती दोस्ती का बड़ा कारण है?
फ्रांस और भारत से काफी पुरानी दोस्ती है लेकिन पिछले एक दशक में यह तेजी से परवान चढ़ी है। इसके पीछे दोनों देशों के कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हित जिम्मेदार हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फ्रांस और भारत दोनों के हित हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े है। यहां चीन की आक्रामक नीति से दोनों ही देश चिंतित है और इसे मुक्त क्षेत्र बनाए रखने पर सहमत हैं।
फ्रांस यह अच्छी तरह जानता है कि बिना भारत के सहयोग के वह चीन से पार नहीं पार सकता है और दूसरी ओर भारत भी चीन पर दबाब बनाने के लिए फ्रांस को साथ लेकर चलने की रणनीति पर काम कर रहा है। वहीं भारत, रूस-यूक्रेन युद्ध में फेल होते रूसी हथियारों को देखकर चिंतित है और हथियारों पर रूस से अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है।
भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय निवेश और व्यापार का सवाल
यही वजह है कि रूस के बाद फ्रांस भारत का सबसे बड़ा हथियार निर्यात देश है। राफेल लड़ाकू विमान और स्कॉपीन श्रेणी की घातक पनडुब्बियों की खरीद प्रक्रिया इसी का नतीजा है। इसके अलावा भारत और फ्रांस अंतरिक्ष क्षेत्र में भी अपनी रणनीतिक साझेदारी तेजी से बढ़ा रहे हैं। दोनों उपग्रह, नेविगेशन और संबंधित प्रौद्योगिकियों में भी सहयोग कर रहे हैं। जहां तक भारत और फ्रांस के बीच द्विपक्षीय निवेश और व्यापार का सवाल है तो वह भी बढ़ता जा रहा है।
इसके अलावा फ्रांस में काफी संख्या में भारतीय प्रवासी भी रहते हैं। दोनों देश लोकतांत्रिक प्रणाली से संचालित है। साफ है दोनों देशों को आज एक-दूसरे की जरूरत है और फ्रांस से बढ़ते संबंध से न केवल भारत को रक्षा और अंतरिक्ष की उन्नत प्रौद्योगिकी का लाभ मिलेगा बल्कि बढ़ते व्यापार और वाणिज्यिक संबंध दोनों देशों की अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक सिद्ध होंगे। इसके अलावा कूटनीतिक रूप से इन संबंधों का प्रभाव पूरे यूरोप पर पड़ेगा। वहीं चीन और पाकिस्तान जैसे धुर विरोधी देशों पर भी इन संबंधों का दबाव पड़ेगा।
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