UP Politics: भाजपा के मिशन 80 के लिए पूर्वांचल बेहद अहम
केंद्र के तीन व योगी सरकार में 13 मंत्री भी इसी क्षेत्र से, जाति के इर्द-गिर्द घूमती है राजनीति
Sandesh Wahak Digital Desk : लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने बड़े स्तर पर तैयारियां करना शुरू कर दी हैं। जहां एक तरफ भाजपा प्रदेशभर में महाजनसंपर्क अभियान चला रही है तो वहीं दूसरी तरफ टिफिन बैठकों के जरिए भी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा जा रहा है। भाजपा का सबसे ज्यादा फोकस यूपी पर है क्योंकि यहां से लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें आती हैं। पार्टी ने इस बार सभी 80 सीटों पर जीत का लक्ष्य रखा है। इस सब के बीच यूपी का पूर्वांचल इलाका काफी अहम हो जाता है, लेकिन पिछले चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां पार्टी को मशक्कत करनी पड़ सकती है।
योगी सरकार में 13 अन्य मंत्री भी पूर्वांचल से
भाजपा के लिए पूर्वांचल का इलाका इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि यहां से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ दोनों ही आते हैं। इसके अलावा मोदी सरकार के तीन मंत्री और योगी सरकार में 13 अन्य मंत्री भी पूर्वांचल से ही आते हैं। बावजूद इसके यहां की राजनीति पर जाति का खासा प्रभाव देखा जाता है। 2019 लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो यहां से प्रधानमंत्री होने के बावजूद भाजपा को यहां काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। भाजपा को गाजीपुर, घोसी समेत कई सीटें गंवानी पड़ीं जहां पर 2014 के चुनाव में पार्टी को जीत मिली थी।
2022 में पूर्वांचल के 3 जिलों में भाजपा का खाता तक नहीं खुला
पूर्वांचल में भाजपा के लिए गाजीपुर, जौनपुर, मऊ और आजमगढ़ जैसे जिले में चुनौती मिल सकती है। यहां के जातीय समीकरण के चलते भाजपा कमजोर स्थिति में है। 2017 के चुनाव में एनडीए का स्ट्राइक रेट 81 फीसदी था, जबकि पूर्वांचल में 77 फीसदी था, वहीं 2022 विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए का स्ट्राइक रेट 68 फीसदी रहा तो वहीं पूर्वांचल में घटकर 59 फीसद पर चला गया। 2022 में पूर्वांचल के 3 जिलों में भाजपा का खाता तक नहीं खुल पाया था।
वहीं 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो पूर्वांचल की आजमगढ़, लालगंज, गाजीपुर, घोसी और जौनपुर में भाजपा हार गई, जबकि 2014 में इन सीटों पर पार्टी को जीत हासिल हुई थी। पूर्वांचल में लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 को लेकर बात की जाए तो 2014 में भाजपा को यहां से 23 सीटों पर जीत हासिल हुई थी वहीं उनकी सहयोगी अपना दल दो सीटों पर जीती।
इस तरह एनडीए ने 26 में से 25 सीटों पर फतह हासिल की, जबकि एक सीट पर सपा को जीत मिली। 2019 में भाजपा के खिलाफ सपा-बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा, जिसका असर इस इलाके में देखने को मिला। भाजपा को यहां 4 सीटों का घाटा हुआ और 19 पर जीत मिली, अपना दल को दो सीटें मिली वहीं बसपा ने जीरो से बढक़र 4 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा जानती है कि लोकसभा चुनाव का लक्ष्य पूरा करने के लिए पूर्वांचल में खुद को मजबूत करना बेहद अहम है। यही वजह कि भाजपा का फोकस इस क्षेत्र पर है।
भोजपुरी बेल्ट से पीएम भी शुरू करते हैं दौरा
भाजपा लगातार पूर्वांचल में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। यही वजह है कि अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई बड़े नेताओं का दौरा होता है। यहां कई विकास योजनाएं भी शुरू की गईं। इनमें वाराणसी में काशी विश्वनाथ कॉरीडोर, रुद्राक्ष केंद्र, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्धाटन, मेडिकल कालेज का शिलान्यास, सिद्धार्थनगर समेत पूर्वांचल के 7 जिलों में मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन, आजमगढ़ में स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास जैसी योजनाओं पर काम किया गया, जिससे पूर्वांचल का विकास हुआ है। पूर्वांचल का इलाका यूपी के पिछड़े इलाकों में आता है। ये पूरी भोजपुरी बेल्ट है यहां ज्यादातर किसानी होती है।
पूर्वांचल के 21 जिलों में 26 लोकसभा सीटें
पूर्वांचल में 21 जिले हैं और 26 लोकसभा सीटें आती हैं। इस इलाके में 130 विधानसभा सीटें हैं। इस इलाके में यूपी की 6.37 करोड़ (2011 की जनगणना) आबादी रहती है जो कुल आबादी का 32 प्रतिशत है। पूर्वांचल के जिन इलाकों में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा या फिर विधानसभा में खाता खोलना तक मुश्किल हो गया वो है आजमगढ़, जहां की 10 विधानसभा सीटों पर भाजपा हार गई, इसके अलावा गाजीपुर की 7 सीटें, कौशाम्बी की 3 सीटें भाजपा हारी। खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए। बस्ती में 5 सीटें, मऊ में 4 सीटें तो वहीं बलिया जिले की 7 में से 5 सीटों पर भाजपा हारी, दो पर जीत मिली, जौनपुर की 9 में से 4 सीटों पर भाजपा जीती।
देश को दिए पांच पीएम, 29 साल बाद अब दूसरा सीएम भी यहीं से
पूर्वांचल ने देश को 5 प्रधानमंत्री दिए हैं, जिनमें पंडित जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, चंद्रशेखर और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आते हैं। ये इलाका अति पिछड़ी जातियों वाला इलाका है जहां राजभर, निषाद और चौहान जातियां निर्णायक स्थिति में हैं। पूर्व पीएम चंद्रशेखर के 23 साल बाद 2014 में पूर्वांचल ने देश को पीएम दिया तो वहीं 29 साल बाद 2017 में पूर्वांचल से यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ बने। तकरीबन तीन दशक पहले वीर बहादुर सिंह यहीं से सीएम थे।
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