UCC पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति, लोगों से की ये अपील

Sandesh Wahak Digital Desk : देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर अपनी आपत्ति संबंधी दस्तावेज बुधवार को बोर्ड की साधारण सभा से अनुमोदन मिलने के बाद विधि आयोग को भेज दिया।

बोर्ड के प्रवक्ता कासिम रसूल इलियास ने बताया कि बोर्ड की कार्यसमिति ने गत 27 जून को यूसीसी को लेकर तैयार किए गए प्रतिवेदन के मसौदे को मंजूरी दी थी, जिसे आज आनलाइन माध्यम से हुई बोर्ड की साधारण सभा में विचार के लिए पेश किया गया। उन्होंने बताया कि बैठक में इस प्रतिवेदन को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया और असके बाद इसे विधि आयोग को भेज दिया गया है।

गौरतलब है कि विधि आयोग ने यूसीसी पर विभिन्न पक्षकारों और हितधारकों को अपनी आपत्तियां दाखिल करने के लिए 14 जुलाई तक का वक्त दिया है। हालांकि बोर्ड ने इसे छह महीने तक बढ़ाने की गुजारिश की थी।

यूसीसी के दायरे से हर धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग को भी अलग रखा जाए

इलियास ने बताया कि बैठक में बोर्ड के 251 में से लगभग 250 सदस्य शामिल हुए। बैठक में सभी सदस्यों से कहा गया कि वे व्यक्तिगत रूप से भी विधि आयोग में यूसीसी के खिलाफ अपनी बात रखें और अपने रिश्तेदारों एवं दोस्तों और अन्य लोगों से भी ऐसा करने को कहें। उन्होंने बताया कि बोर्ड का कहना है कि यूसीसी के दायरे से सिर्फ आदिवासियों ही नहीं बल्कि हर धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग को भी अलग रखा जाना चाहिए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हमेशा से यूसीसी के खिलाफ रहा है। संगठन का कहना है कि भारत जैसे बहु सांस्कृतिक एवं बहुधार्मिक देश में यूसीसी के नाम पर एक ही कानून थोपा जाना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।

विधि आयोग ने पिछली 14 जून को यूसीसी को लेकर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी जिन्हें आगामी 14 जुलाई तक आयोग के सामने दाखिल किया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में यूसीसी की पुरजोर वकालत की थी।

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