UP Politics : साथियों को बदलने में माहिर हैं प्रदेश के बड़े सियासी दल
Sandesh Wahak Digital Desk : महाराष्ट्र की सियासी उठापटक के बाद उत्तर-प्रदेश में भी ऐसा होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा रहा है। बीते कुछ वर्षों में अपने साथियों को बदलने में सियासी दलों ने कुछ ज्यादा ही तेजी दिखाई है। सियासी समीकरणों के हिसाब से दलों के बीच गठबंधन और अलगाव की भूमिका की स्क्रिप्ट लिखी जाती है। हालांकि 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से अभी तक इस परिपाटी ने खूब तेजी पकड़ी है।
भाजपा हो या सपा लगातार अपनी सहयोगी बदलते रहे हैं। 2014 में भारतीय जनता पार्टी के साथ अपना दल एस था, जबकि सपा के साथ में रालोद। 2019 में भाजपा के सहयोगी बढ़े और अपना दल एस के साथ ही राजभर की सुहेलदेव समाज पार्टी भी आ गई है। सपा बसपा के साथ चली गई, लेकिन 2024 में परिस्थितियां बदल रही हैं। दोनों दल अपने सहयोगियों की ओर देख रहे हैं।
2017 के चुनाव से शुरू हुआ था गठबंधन का दौर
उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनाव से गठबंधन का एक नया दौर शुरू हुआ। 2017 के चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और रालोद भी इसी गठबंधन के साथ चुनाव लड़ा, वहीं भाजपा ने अपना दल और सुहेलदेव समाज पार्टी को अपना सहयोगी बनाया। भाजपा को जोरदार जीत मिली।
2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का गठबंधन ओमप्रकाश राजभर से टूट चुका था। राजभर अपनी सुहेलदेव समाज पार्टी का साथ साइकिल से निभा रहे थे, जबकि नए दल के तौर पर महान दल भी सपा के साथ था। भाजपा ने निषाद पार्टी और अपना दल के साथ चुनाव लड़ा। नए गठबंधन होने के बावजूद सपा को हार का सामना करना पड़ा।
क्या कहती है सपा और भाजपा
सपा के प्रदेश प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने बताया कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव चाहते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर समान विचारधारा के राजनीतिक दल एक साथ आ जाएं। जिसको लेकर पटना में एक सफल बैठक हुई है। निश्चित तौर पर हम बेहतर राजनीतिक संगठन बनाएंगे। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेयी का इस बारे में कहना है कि पीएम मोदी और मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में भाजपा में आस्था रखने वाले दलों की संख्या बढ़ रही है। 2024 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए का कुनबा और बड़ा हो जाएगा।
सबसे बेहतर करार दिया गठबंधन भी टूटते देर नहीं लगी
2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का जबरदस्त गठबंधन हुआ। माना गया कि उत्तर प्रदेश में इससे बेहतर गठबंधन नहीं हो सकता। राष्ट्रीय लोक दल भी इसमें शामिल था। दूसरी ओर भाजपा ने अपना दल और निषाद पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में 80 में से 64 सीटों पर भाजपा के गठबंधन को जीत मिली। सपा और बसपा के गठबंधन ने केवल 15 सीटें जीतीं।
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