फिर सच साबित हुई ‘संदेश वाहक’ की खबर, नहीं होगी आयुष फर्जीवाड़े की CBI जांच
योगी सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
Sandesh Wahak Digital Desk : आखिरकार वही हुआ, जिसका अंदेशा ‘संदेश वाहक’ ने पहले ही जता दिया था। उत्तर प्रदेश के चर्चित आयुष घोटाले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए सोमवार को सीबीआई जांच के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।
‘संदेश वाहक‘ ने 16 जून के संस्करण में आयुष फर्जीवाड़े में ‘सीबीआई जांच को दबाने के उच्चस्तरीय प्रयास शुरू’ शीर्षक से खबर प्रकाशित करके इसके संकेत पहले ही दे दिए थे। सीबीआई जांच होने से आयुष विभाग के कई और घोटालों का खुलासा होने की संभावना थी। इस फर्जीवाड़े में तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी के ऊपर एक करोड़ पांच लाख और अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी पर 25 लाख की रिश्वत लेने का संगीन आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और मनोज मिश्रा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर आंशिक रूप से रोक लगाई है। खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सालीसिटर जनरल एमके नटराज के नोट के बाद सीबीआई की जांच को स्थगित कर दिया।
आयुष विभाग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के नामांकन में अनियमितता और घोटाले की जांच फिलहाल यूपी एसटीएफ की टीम कर रही है। इससे पहले हाईकोर्ट ने वाराणसी के संतुष्टि अस्पताल की निदेशक ऋतु गर्ग की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए सीबीआई जांच का आदेश दिया था। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी भी की। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है। बड़ा घोटाला है। सरकार सीबीआई जांच से क्यों बच रही है?
यूपी के पूर्व आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी, आयुष विभाग के तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी और अन्य के खिलाफ 2019 में आयुष के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश में अनियमितता और रिश्वत लेने के आरोपों की जांच करने का निर्देश सीबीआई को दिया गया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह के साथ महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा किंजल सिंह और एसटीएफ के डिप्टी एसपी संजीव दीक्षित भी उपस्थित थे।
नवंबर 2022 में घोटाला सामने आया था
नवंबर 2022 में यह घोटाला सामने आया था। आयुष कॉलेजों के 2021-22 के सत्र में 891 फर्जी एडमिशन होने की बात सामने आई थी। इसमें नीट द्वारा जारी रिजल्ट में छेड़खानी करके अयोग्य और अपात्रों को काउंसलिंग में बुलाकर एडमिशन निजी कॉलेजों में करवाए गए। इस एवज में अभ्यर्थियों से मोटी रकम वसूली गई।
निदेशक समेत 10 से ज्यादा आरोपितों को जेल भेजा गया
घोटाला सामने आने के बाद तत्कालीन आयुर्वेद निदेशक डॉ. एसएन सिंह की तरफ से हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज करवाई गई। बाद में मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। बाद में निदेशक समेत 10 से ज्यादा आरोपितों की गिरफ्तारी कर उन्हें जेल भेजा गया। तीन कॉलेज संचालकों को भी जेल भेजा गया। इस बीच सरकार ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की घोषणा की। लेकिन सीबीआई ने कोई जांच शुरू नहीं की।
घूसखोरी की बहती गंगा में सेक्शन अफसर तक ने हाथ धोये
आईएएस प्रशांत त्रिवेदी के अलावा एसटीएफ ने अभी तक शासन के उन अफसरों की घूसखोरी भी नहीं उजागर की है। जिन्होंने बहती गंगा में खूब हाथ धोये हैं। इसमें सेक्शन अफसर तक शामिल हैं। योगी सरकार के मुताबिक एसटीएफ की जांच पर उसे भरोसा है जबकि सीबीआई के आने से आरोपी अफसर पूछताछ में कई राज भी खोल सकते थे, जिससे कईओं की मुश्किलें बढ़नी तय थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई से तत्काल जांच शुरू करते हुए एक अगस्त को न सिर्फ अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की थी बल्कि प्रारम्भिक जांच रिपोर्ट भी पेश करने को कहा था।
आयुष मिशन में सैनी के कई कारनामों के राज दफन
तत्कालीन आयुष मंत्री धर्म सिंह सैनी ने सिर्फ दाखिलों में फर्जीवाड़े के जरिये ही करोड़ों रूपए नहीं कमाए हैं बल्कि अपने तमाम नजदीकियों को विभाग से बड़े ठेके भी दिलाये हैं। खासतौर पर आयुष मिशन में सैनी के कई कारनामों के राज दफन हैं। मिशन में पिछले वर्षों के दौरान हुए करोड़ों के तमाम ठेकों में मंत्री से लेकर आयुष सोसाइटी के कई अफसरों ने खूब रेवड़ियां खाई हैं।
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