योगी जी! दागी आईएएस अफसरों पर भी नजरें ‘इनायत’ कीजिये
मुख्यमंत्री योगी की नीति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की है। बड़े अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई करने से मुख्यमंत्री तनिक भी नहीं हिचकते। लेकिन...
Sandesh Wahak Digital Desk: मुख्यमंत्री योगी की नीति भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की है। बड़े अफसरों के खिलाफ भी कार्रवाई करने से मुख्यमंत्री तनिक भी नहीं हिचकते। आईपीएस मणिलाल पाटीदार की बर्खास्तगी से यूपी की नौकरशाही में सख्त संदेश जायेगा। अभी भी दागी अफसरों की फेहरिस्त में कई ऐसे बड़े नाम हैं। जिनके ऊपर कार्रवाई का इन्तजार लम्बे समय से है। यूपी में एक भी आईएएस अफसर को बर्खास्त भी नहीं किया गया।
पावर कार्पोरेशन में 40 हजार कर्मियों की अरबों की भविष्य निधि हड़पने के खेल में सीबीआई ने तीन आईएएस अफसरों को जांच के दायरे में लाने के लिए पूछताछ की अनुमति सरकार से मांगी थी। लेकिन योगी सरकार ने साफ इंकार कर दिया। इसमें संजय अग्रवाल, आलोक कुमार और अपर्णा यू का नाम शामिल था।
यही नहीं सचल पालना घोटाले में भी सीबीआई को रिटायर प्रमुख सचिव शैलेश कृष्ण के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं मिली। जल्द रिटायर होने जा रहे एक कद्दावर अपर मुख्य सचिव का नाम आयकर छापों के बाद कमीशनखोरी में सामने आया। आयकर विभाग की रिपोर्ट पर योगी सरकार ने इस अफसर को महत्वहीन विभाग भले दे दिया। लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। रिवर फ्रंट घोटाले में भी यूपी के दो पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दीपक सिंघल के खिलाफ अभी तक जांच की मंजूरी सीबीआई को नहीं मिली है।
दागियों को मिली है अहम जिम्मेदारियां
खनन घोटाले में आरोपी आईएएस अफसरों को भी पोस्टिंग मिल चुकी है। इनमे से एक महिला आईएएस बी. चन्द्रकला को हजार करोड़ के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का प्रभारी तक बनाया गया है।
वहीं एक आईएएस विवेक सीधे गृह विभाग में विशेष सचिव बने बैठे हैं। लोकसेवा आयोग घोटाले में नामजद आईएएस प्रभुनाथ अभी लोक निर्माण विभाग में विशेष सचिव बने बैठे हैं। जबकि सीबीआई ने इस अफसर के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति तक मांगी थी। प्रमुख सचिव स्तर के एक आईएएस के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने बलिया अनाज घोटाले के सिलसिले में अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। इस आईएएस ने कभी मुख्यमंत्री योगी को जेल भेजा था।
नियुक्ति विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक यूपी सरकार ने अनुमति देने से मना कर दिया। तभी एनओसी मिलने पर इस आईएएस का प्रमोशन प्रमुख सचिव के पद पर कर दिया गया।
आरोपी आईपीएस अफसर लगातार पा रहे क्लीनचिट
मणिलाल पाटीदार के अलावा यूपी में दागी आईपीएस अफसरों की लम्बी फेहरिस्त है। लेकिन एक-एक करके सभी जांच में क्लीनचिट पाते जा रहे हैं। नोएडा के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने जिन पांच आईपीएस का कच्चा चिट्ठा खोला था। उन्हें भी जांच में पाक साफ़ करार दे दिया गया। इसमें आईपीएस अजय पाल शर्मा का नाम प्रमुख है। इसी तरह कानपुर के बिकरू काण्ड में विकास दुबे के फाइनेंसर जय बाजपेयी के करीबी आईपीएस अनंत देव तिवारी को भी बहाल करके एसटीएफ में पोस्टिंग दे दी गयी।
वहीं बलिया में तमाम आरोपों से घिरे राज करण नैय्यर भी अयोध्या के कप्तान बन गए। इनके अधीनस्थ रहे एक अफसर की पत्नी ने गृह विभाग में बाकायदा शिकायत करके कारनामों की पोल खोली थी। लेकिन जांच नहीं हुई।
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