भ्रष्टाचार: महिला कल्याण के उप निदेशक की नियुक्ति में फर्जीवाड़ा

महिला कल्याण विभाग में फर्जी नियुक्ति के सहारे एक अफसर न सिर्फ लम्बे समय से नौकरी बजा रहा है बल्कि भ्रष्टाचार के जरिये कई कारनामों को भी अंजाम दिया है।

Sandesh Wahak Digital Desk: महिला कल्याण विभाग में फर्जी नियुक्ति के सहारे एक अफसर न सिर्फ लम्बे समय से नौकरी बजा रहा है बल्कि भ्रष्टाचार के जरिये कई कारनामों को भी अंजाम दिया है। इस खेल की जांच शुरू होने पर आरोपी के सचिवालय में तैनात अफसर पिता ने फर्जीवाड़े से जुड़ी फाइल ही गायब करा दी। फिलहाल शिकायत मिलने पर प्रमुख सचिव महिला कल्याण वीणा कुमारी मीणा ने पूरे फर्जीवाड़े पर जांच के आदेश दिए हैं। मामला अयोध्या में तैनात उप निदेशक सर्वेश कुमार पाण्डेय से जुड़ा है।

प्रमुख सचिव महिला कल्याण वीणा कुमारी मीणा को एक शिकायती पत्र मिला था। जिसके बाद उन्होंने महिला कल्याण निदेशक (women welfare director) को आदेश दिए हैं कि सर्वेश कुमार पाण्डेय की नियम विरुद्ध नियुक्ति और पूर्व में तैनात जिलों में भ्रष्टाचार किए जाने और हर महीने अवैध वसूली की शिकायत की जांच कर जांच रिपोर्ट अगले एक पखवारे में उपलब्ध करवाएं।

नियम के विरूद्ध हुई नियुक्ति

प्रमुख सचिव को भेजे गये इस शिकायती पत्र में लिखा गया है कि सर्वेश कुमार पाण्डेय की नियुक्त नियम विरुद्ध हुई है। जिसकी जांच करवायी जाए तो यह बात स्वयं सच साबित हो जाएगी। शिकायत की गई है कि इनके पिता उप्र सचिवालय में अधिकारी थे, जिनका लाभ लेते हुए सर्वेश कुमार पाण्डेय की नियुक्ति नियम विरुद्ध की गई। स्मिता सिंह की नियुक्ति की वरीयता सूची में उच्च स्थान होने के बावजूद सर्वेश कुमार पाण्डेय की नियुक्ति की गई, जिसके बाद स्मिता सिंह ने न्यायालय की शरण ली।

न्यायालय के आदेश के बाद स्मिता सिंह की नियुक्ति महिला कल्याण विभाग में की गई जो कि वर्तमान में जिला प्रोबेशनल अधिकारी अलीगढ़ के पद पर तैनात हैं। शासन द्वारा सर्वेश कुमार की अवैध नियुक्ति की जांच शुरू हुई तो उनके पिता ने वह फाइल ही बंद करवा दी।

लखनऊ में तैनाती के दौरान नवजात शिशुओं की मौत का मामला आया था सामने

आरोपी उप निदेशक सर्वेश पांडेय की लखनऊ में तैनाती के दौरान ही राजकीय बाल गृह (शिशु) में कई नवजात शिशुओं की मौत का बड़ा गंभीर प्रकरण सामने आया था। इसके बावजूद संस्था प्रभारी और सर्वेश कुमार पाण्डेय का बाल बांका तक नहीं हुआ। शिकायती पत्र के मुताबिक सर्वेश कुमार जिस भी जिले में तैनात रहे, वहां विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं में उनके द्वारा बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं के बच्चों को सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं जैसे भोजन, दवा, कपड़े आदि की कटौती कर सर्वेश कुमार को खुश किया जाता था।

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