आजकल आम बात है Depression, इस तरह से पायें निजात
आप सभी ने सुना होगा स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होना जरूरी है और जिनका मन स्वस्थ है वह अपने तन को स्वस्थ कर ही लेते हैं। अर्थात तन एवं मन दोनों स्वस्थ रहना चाहिए।
Sandesh Wahak Digital Desk: आप सभी ने सुना होगा स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का वास होना जरूरी है और जिनका मन स्वस्थ है वह अपने तन को स्वस्थ कर ही लेते हैं। अर्थात तन एवं मन दोनों स्वस्थ रहना चाहिए। आजकल रोजमर्रा के आपाधापी भरे व्यस्त जीवन मे लगता है कि हर चौथे व्यक्ति में अवसाद यानि डिप्रेशन (Depression) होना एक मामूली सी बात हो गई है। आइए आज इसी के बारे में आपके साथ थोड़ी चर्चा की जाए…
अवसाद यानि Depression के लक्षण
- ठीक से नींद न आना।
- अपने आप को अकेला महसूस करना।
- कम भूख लगना अथवा अत्यधिक राक्षसी भूख लगना।
- अपराध बोध होना अथवा एक अनजाना सा मन में डर समाए रहना।
- घर में मन नहीं लगना और बाहर जाकर भी मन नहीं लगना।
- हर समय मन में उदासी।
- आत्मविश्वास में कमी महसूस होना।
- सारे मेडिकल रिपोर्ट्स नॉर्मल होने के बावजूद भी बेवजह का थकान महसूस होना और सुस्ती।
- उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता।
- अपने परिवार में अथवा बाहर गाली बकने का मारने पीटने का मन होना।
- चाहते अथवा ना चाहते हुए भी मादक पदार्थों का सेवन करना।
- एकाग्रता में कमी यानि मन सदैव विचलित।
- ख़ुदकुशी करने का ख़्याल अक्सर मन में आना।
- किसी काम में दिलचस्पी न लेना।
उपाय
यदि उपरोक्त लक्षणों में से कुछ लक्षण दिखाई दे जाए तो चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही साथ इन उपायों को करने से भी काफी आराम मिल सकता है।-
अपने किसी भी प्रियजन से खूब बात करें- मानसिक अवसाद से गुज़र रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना रामबाण साबित हो सकता है। आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें। इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है। उनकी सुविधा को देखते हुए उनसे मिलने जाएं, नहीं तो फोन पर ही उनसे बात करें। इतना भरोसा रखिए कि हर प्रॉब्लम का एक सलूशन अवश्य रहता है।
पौष्टिक भोजन खाएं और नियमित रूप से योग व्यायाम करें- सेहतमंद पोस्टिक और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है। व्यायाम एवं योग अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है। जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं जिससे बेवजह की सोच और डिप्रेशन (obsessive thoughts and depression) को बढ़ाने वाले विचार कम आते हैं। व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मानसिक स्तर पर भी बहुत आराम मिलता है।
अपने अंदर के सोए हुए गुणों को को दोबारा जगाएं- कहते हैं मनोभावों को यदि आप किसी से व्यक्त नहीं कर सकते तो पेन और पेपर लेकर उन्हें लिख डालें। लिखने से अच्छा स्ट्रेस बस्टर शायद ही कुछ और हो। इसके अलावा अपनी लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद मिलती है। डायरी लिखने से लोग चमत्कारी ढंग से डिप्रेशन से बाहर आते हैं। इन दिनों ब्लॉग्स का भी ऑप्शन है। आप चाहे तो सोशल मीडिया पर भी अपने विचार साझा कर सकते हैं। इससे आपको यह फायदा मिलेगा कि आभासी ही सही, आपकी पहचान बढ़ेगी और धीरे धीरे वास्तविक रुप से कुछ एक लोगों से मित्रता भी बढ़ेगी।
दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं- अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं। उनसे हमे आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है। दोस्तों से जुड़ने के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं। ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं।
नियमित रूप से छुट्टियां लें- रोजाना एक ही प्रकार की बातें करते सुनते, टीवी पर वही डरावने समाचार देखते-देखते अथवा उसी विषय पर बार-बार बातें करते-करते यदि मन थक जाए तो दिन में कुछ घंटे के लिए अपना मोबाइल, फोन, टीवी इत्यादि बंद कर दें और अपने परिवार अथवा इष्ट मित्रों के साथ कुछ पल छुट्टियों का आनंद लें।
नींद भर सोएं- एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। अध्ययनों से पता चला है कि रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में टेंशन के लक्षण कम देखे जाते हैं। इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें।
हल्का-फुल्का मस्ती भरा म्यूज़िक सुनें- अच्छा संगीत सुनना सभी को अच्छा लगता है। जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें। आप विश्वास रखें संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अद्भुत ताक़त होती है। वैसे एक चीज़ का ख़्याल रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने न सुनें, क्योंकि ऐसा करने से मन और दुखी हो जाएगा। सकारात्मक सोच वाले गाने सबसे अच्छे होते हैं।
पुरानी बातों के बारे में न सोचें– अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों को हमेशा सोचते रहना उचित नहीं है बल्कि मन में यह सोच रखनी चाहिए कि आगे सब ठीक रहे। एक तो पुरानी बातें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं, फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फ़ायदा? बेवजह अपने दिलोदिमाग़ पर बोझ बढ़ाते हैं। पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय आज पर फ़ोकस करें। कल की बातें छोड़ आज मैं जीना सबसे अच्छा माना जाता है।
ख़ुद को लोगों से दूर न करें- खुद को लोगों से बिल्कुल दूर ना रखें। सोशल साइट्स, मोबाइल वीडियो कॉल, संदेश के माध्यम से अथवा एक दूसरे से व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी अपने मन का बोझ हल्का कर सकते हैं। यदि आप खुद को लोगों से दूर कर लेंगे तो आपको लोगों से बात करने का मन ही नहीं करेगा एवं सदैव अंदर ही अंदर घुटते रहेंगे जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत अनुचित है।
दरअसल, लाखों-करोड़ों लोग मानसिक एवं शारीरिक रूप से कष्ट एवं अवसाद झेल रहे हैं। तमाम प्रकार की बातों को सोचना कोई गलत बात नहीं है। सोचना चाहिए तभी हम आगे बढ़ सकते हैं परंतु बेवजह की सोच, बेवजह की उदासी, बेवजह अकेला रहना, बेवजह अपनी नुक्स निकालना तथा अगले की नुक्स निकालना मानसिक रूप से थकावट का लक्षण है जिससे सभी का निकलना बहुत आवश्यक है।
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