मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस का बीजेपी पर हमला, कहा- विवाद को लंबा खींचने का हो रहा प्रयास

Sandesh Wahak Digital Desk : कांग्रेस ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में स्थिति को लेकर सरकार पर हमला करते हुए सोमवार को कहा कि लापरवाही के हर गुजरते दिन के साथ यह विश्वास पक्का होता जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा इस विवाद के समाधान में नहीं, बल्कि इसे लंबा खींचने में दिलचस्पी रखते हैं।

कांग्रेस ने यह हमला ऐसे वक्त किया है जब एक दिन पहले उसने मांग की कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को राज्य का दौरा करने की अनुमति दी जाए।

मणिपुर के कांग्रेस नेताओं सहित राज्य के 10 समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के नेताओं ने राज्य की स्थिति पर सोमवार को गहन चर्चा की। वे प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय मिलने का इंतजार करते हुए यहां कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश के आधिकारिक आवास पर मिले।

रमेश ने एक ट्वीट में कहा, ‘आज मणिपुर के भाजपा विधायकों के एक समूह ने रक्षा मंत्री से मुलाकात की। मणिपुर के भाजपा विधायकों का एक और समूह प्रधानमंत्री को एक ज्ञापन सौंपने गया, जिसमें कहा गया है कि लोगों का राज्य प्रशासन में विश्वास पूरी तरह से खत्म हो गया है। इसका सार है कि मुख्यमंत्री को बदलना होगा…।’

रमेश ने कहा  कि ‘मणिपुर में खुद भाजपा एकजुट नहीं है। यही कारण है कि आज राज्य बुरी तरह से विभाजित है। प्रधानमंत्री को परवाह ही नहीं है’।

मणिपुर 49 दिनों से जल रहा

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट किया कि ‘मणिपुर 49 दिनों से जल रहा है। क्या इसके 50वें दिन (मंगलवार को) प्रधानमंत्री इस संकट के बारे में एक भी शब्द बोले बिना विदेश रवाना हो जाएंगे?’

वेणुगोपाल ने दावा किया कि सैकड़ों लोगों की मौत हो गई, हजारों बेघर हो गए, कई गिरजाघरों और पूजास्थलों को नष्ट कर दिया गया। राज्य का प्रशासन खुद समस्या का हिस्सा है, समाधान नहीं है। अब हिंसा मिजोरम तक फैल रही है।

उनका कहना है कि पिछले कई दिनों से मणिपुर के नेता प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांग रहे हैं। लापरवाही के हर गुजरते दिन के साथ यह विश्वास पक्का होता जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा इस विवाद के समाधान में नहीं, बल्कि इसे लंबा खींचने में दिलचस्पी रखते हैं।

कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि ‘स्वयंभू विश्वगुरु ‘मणिपुर की बात’ कब सुनेंगे? वह देश से बात कब करेंगे और शांति की अपील कब करेंगे? वह शांति बहाली में विफल रहने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री की जवाबदेही कब मांगेंगे? मणिपुर में डेढ़ महीने पहले मेइती और कुकी समुदायों के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

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