गीता प्रेस का विरोध हिंदू विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा : आचार्य प्रमोद
कहा- ऐसे बयान न दें जिससे नुकसान की भरपाई करने में सदिया गुजर जाएं
Sandesh Wahak Digital Desk : गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को लेकर उठे विवाद में अब कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम की एंट्री हो गई। उन्होंने कहा कि गीता प्रेस का विरोध हिंदू विरोधी मानसिकता की पराकाष्ठा है। राजनीतिक पार्टी के जिम्मेदार पदों पे बैठे लोगों को इस तरह के धर्म विरोधी बयान नहीं देने चाहिए, जिसके नुकसान की भरपाई करने में सदियां गुजर जाएं।
गौरतलब हो कि साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किए जाने की घोषणा के बाद इस पर राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर में गीता प्रेस को प्रदान किया जा रहा है, जो इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। अक्षय मुकुल ने 2015 में इस संस्थान की एक बहुत अच्छी जीवनी लिखी है।
सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा
इसमें उन्होंने इस संस्थान के महात्मा के साथ उतार-चढ़ाव वाले संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया है। ये फैसला वास्तव में एक उपहास है और सावरकर-गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है।
दूसरी तरफ जयराम रमेश की टिप्पणी पर बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस को ‘हिन्दू विरोधी’ करार दिया और लोगों से सवाल किया कि गीता प्रेस पर उसके हमले से क्या कोई हैरान है?
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘गीता प्रेस को अगर ‘एक्सवाईजेड प्रेस’ कहा जाता तो वे इसकी सराहना करते…लेकिन यह गीता है, इसलिए कांग्रेस को समस्या है। कांग्रेस मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानती है, लेकिन उसके लिए गीता प्रेस सांप्रदायिक है। जाकिर नाइक शांति का मसीहा है लेकिन गीता प्रेस सांप्रदायिक है। कर्नाटक में गोहत्या चाहती है कांग्रेस।
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