अरबों के ट्रांसफार्मर घोटाले ने UP में बढ़ाया बिजली संकट
दरअसल पूर्ववर्ती बसपा और सपा सरकार के दौरान हुए हजारों करोड़ के ट्रासंफार्मर घोटाले ने यूपी में बिजली संकट (power crisis in UP) के कोढ़ में खाज का काम किया है।
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में बिजली संकट (power crisis in UP) से त्राहिमाम मचा हुआ है। अफसरों के दावों के इतर प्रदेश भर में घंटों की बिजली कटौती ने आम आदमी को भीषण गर्मी में न सिर्फ बेहाल कर रखा है बल्कि छोटे उद्योगों के लिए भी बड़ी परेशानी खड़ी की है। दरअसल पूर्ववर्ती बसपा और सपा सरकार के दौरान हुए हजारों करोड़ के ट्रासंफार्मर घोटाले ने यूपी में बिजली संकट के कोढ़ में खाज का काम किया है।
बसपा सरकार के दौरान ही कई हजार करोड़ के ट्रासंफार्मर घोटाले की नींव यूपी के बिजली विभाग (Electricity Department of UP) में रखी गयी थी। ख़ास कंपनियों से घटिया ट्रांसफार्मर जमकर अफसरों ने खरीदे। 2012 में अखिलेश सरकार के आने के बाद पूर्व एमडी व मौजूदा मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने तेजी दिखाते हुए करीब एक दर्जन ट्रांसफार्मर कम्पनियों को काली सूची में डाला था। जिसमें पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल के भाई की कम्पनी भी शामिल थी।
करीब 40 हजार करोड़ के घोटाले के जिम्मेदारों के प्रभाव में अवस्थी को हटाकर अखिलेश सरकार ने एपी मिश्रा को पावर कॉर्पोरेशन का एमडी बना दिया था। घोटाले की जांच आज तक नहीं हुई। इसी तरह योगी सरकार के सत्ता में आने से पहले के अखिलेश राज के दौरान भी इस घोटाले की कलंक कथा लिखी गयी। 2017 से पहले सपा सरकार के दौरान ही प्रदेश में जयपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, गाजियाबाद, कानपुर, रामपुर और सोनीपत की कंपनियों से ट्रांसफार्मर की खरीद की गई थी।
हर रोज फूंक रहें हैं बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर
10 केवी से लेकर 400 केवी तक ट्रांसफार्मर खरीदे गए। बिजली विभाग ने अरबों की लागत से करीब 50 हजार ट्रांसफार्मर खरीदे थे। इनमें मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। 250 केवीए और 100 केवीए के आठ हजार ट्रांसफार्मर कुछ ही दिनों में जवाब दे गए। विभाग ने इन ट्रांसफार्मरों को कंपनी से बदलना मुनासिब नहीं समझा। जबकि जीटीपी (गारंटी टर्म एंड पर्टीकुलर) के आधार पर 36 महीने से पहले कोई ट्रांसफार्मर खराब हो जाता है तो कंपनी उसे बदलती है। बिजली विभाग ने उन कंपनियों से ट्रांसफार्मर खरीदे थे जो सरकार और मंत्रियों की करीबी थीं। नतीजतन वर्तमान दौर में रोजाना बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं।
अघोषित बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री सख्त, मंत्री व चेयरमैन तलब
अघोषित बिजली कटौती पर मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को भारी नाराजगी जताते हुए सीधे ऊर्जा मंत्री एके शर्मा और विद्युत निगम के चेयरमैन और अधिकारियों को तलब किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विद्युत आपूर्ति पर फीडर वाइज जवाबदेही तय करने के सख्त निर्देश दिए। जरूरत पडऩे पर अतिरिक्त बिजली खरीदने को कहा। मुख्यमंत्री के मुताबिक गांव हो या शहर, तत्काल खराब ट्रांसफार्मर बदले जाएं। हर जिले में कंट्रोल रूम बनाकर डीएम खुद मॉनीटरिंग करें। भीषण गर्मी के बीच हर गांव-हर शहर को पर्याप्त बिजली देने को मुख्यमंत्री ने कहा है।
13 दिनों में राज्य में 10330 ट्रांसफार्मर फुंके- परिषद
उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि जून के 13 दिनों में राज्य में 10330 ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए और फुंक गए। औसतन प्रतिदिन करीब 795 ट्रांसफार्मर खराब हुए। जिसका खामियाजा उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ा। प्रतिदिन करीब 390 से अधिक ट्रांसफार्मर ओवरलोडिंग के कारण क्षतिग्रस्त हुए हैं। पिछले वर्ष 2022 में जून में 29437 वितरण ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्त हुए थे।
Also Read: UP: 15 हजार करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा, चार और आरोपी गिरफ्तार