ग्रेटर नोएडा की एक सोसाइटी ने लागू किया Dress Code, इन दो कपड़ो पर लगाया बैन
उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा के हिमसागर हाउसिंग सोसाइटी ने ड्रेस कोड (Dress Code) लागू किया है।
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर ग्रेटर नोएडा के हिमसागर हाउसिंग सोसाइटी ने ड्रेस कोड (Dress Code) लागू किया है। सोसाइटी में रहने वालों पर यह ड्रेस कोड पार्क में टहलते समय लागू होगा। सोसाइटी की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव की ओर से एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि सोसाइटी के प्रांगण में विचरण करते समय कपड़े पहनने का ख्याल रखें। दूसरे लोगों को असहज महसूस न हो और कोई आपके ऊपर सवाल खड़े न करे।
यह ड्रेस कोड (Dress Code) ग्रेटर नोएडा के सेक्टर पी-4 की सहकारी आवास समिति ने लागू किया है। इसे हिमसागर अपार्टमेंट भी कहते हैं। हिमसागर अपार्टमेंट के सचिव हरिप्रकाश की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि सभी निवासी यहां के सदस्य हैं। आप सभी से अपेक्षा की जाती है कि जब कभी सोसाइटी में विचरण करें तो अपने आचरण और पहनावे पर विशेष ध्यान रखें। अपने व्यवहार से किसी को आपत्ति जताने का मौका न दें। आपके बालक और बालिका भी आपसे सीखते हैं। अतः सभी से अनुरोध है कि लुंगी और नाइटी घर का पहनावा है। इन्हें घर से बाहर नहीं पहनना चाहिए। लिहाजा लुंगी और नाइटी पहनकर सोसाइटी में विचरण नहीं करें।
सोसाइटी परिसर में नोटिस चस्पा होने के बाद कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया है। सोसाइटी के व्हाट्सएप ग्रुप्स में भी लोग दो खेमों में बंट गए हैं।
10 जून को जारी हुआ था नोटिस
सोसाइटी के अध्यक्ष सीके कालरा ने कहा कि हमें सोसाइटी के कुछ लोगों के द्वारा शिकायत मिली थी, जिसमें उन लोगों ने कहा था कि कुछ लोग पार्क में ऐसे कपड़े पहन कर घूमते हैं, जिससे हम असहज महसूस करते हैं। सोसाइटी के लोगों की शिकायत के बाद ही हमने यह नोटिस 10 जून को जारी किया था। हमने किसी की भावनाओं को आहत नहीं किया है और ना ही किसी तरह के पहनावे पर रोक लगाई है। हमने सिर्फ लोगों से यह आग्रह किया है कि इस तरह के कपड़े पहनकर पार्क में न घूमे कि जिससे दूसरे लोग असहज महसूस करें।
एक सोसाइटी निवासी का कहना है कि सोसाइटी की तरफ से ये एक अच्छा निर्णय लिया गया है। अगर महिलाएं नाइटी पहनकर घूमती हैं तो ये पुरुषों के लिए असहज होगा और अगर पुरुष लुंगी पहनेंगे तो ये महिलाओं के लिए असहज होगा। इस निर्णय के विरोध करने का कोई कारण नहीं नजर आता है।
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