Kidney फेल होने से बचा लेंगी ये जड़ी-बूटियां, डायलिसिस की नहीं आएगी नौबत
क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है।
Sandesh Wahak Digital Desk: क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है। भारत जैसे देश में ज्यादातर लोग इस बीमारी के नतीजे नहीं झेल पाते। डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन का खर्च भी उनकी कमर तोड़ देता है। आयुर्वेद के जानकार डॉक्टर पुनीत के अनुसार, किडनी की परेशानियों को आराम से दूर करना हो तो आयुर्वेद सटीक तरीका साबित होता है। आयुर्वेद, किडनी के काम करने की ताकत को चमत्कार की तरह सही करता है। इतना कि डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन जैसे इलाजों की जरूरत ही नहीं पड़ती।
डॉक्टर पुनीत के अनुसार किडनी रातों-रात फेल नहीं होती, धीरे-धीरे इस हाल तक पहुंचती है। लेकिन किडनी फेल्योर के लक्षण बहुत कम और नॉर्मल होने की वजह से इसके बारे में समय से पता नहीं चलता और इलाज देर से शुरू हो पाता है। इलाज समय से शुरू हो, तभी सफल होगा। इसलिए, अलग तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए। पेशाब कम आना, हाथ-पैरों में सूजन, थकान महसूस होना, सांस लेने में परेशानी, किडनी का ऐसे रखें ध्यान।
ऐसे रखें अपनी किडनी का ख्याल
कई बार सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया और यूरिन एल्बुमिन के लेवल्स अबनॉर्मल रेंज तक बढ़ जाते हैं। इससे किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का इशारा मिलता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मेडिसिनल प्रीपरेशंस इन इंडिकेटर्स को नॉर्मल रेंज में लाने का काम करते हैं। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले हर्बल फॉर्मुलेशंस में पुनर्नवा, कासनी, वरुण, पलाश और गोक्षुरा का इस्तेमाल किया जाता है।
Kidney Function में होगा सुधार
आयुर्वेद के ट्रेडिशनल तरीके में नेचरल चीजों का प्रयोग करके बीमारियां ठीक की जाती हैं। इनमें ऐसी परेशानियां भी होती हैं, जहां एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर पातीं। किडनी फेल्योर को भी आयुर्वेद से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। शरीर में असंतुलन को सही करके और किडनी फंक्शन में सुधार से आयुर्वेद में किडनी डैमेज को ठीक करने की भी ताकत होती है।
अलग-अलग तरीके से काम करता है आयुर्वेद
आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर तय होता है। इसलिए, किडनी फेल्योर के इलाज (kidney failure treatment) के लिए किसी एक दवाई का नाम नहीं लिया जा सकता, जबकि एलोपैथिक इलाज में यही ट्रेंड होता है। मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, कोमोर्बिटीज, लक्षण, बीमारी की स्टेज और सेहत को देखकर ही आयुर्वेदिक इलाज तय किया जा सकता है।
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