Sandesh Wahak Impact : यूपी आयुष सोसाइटी घोटाले में छह सदस्यीय जांच कमेटी गठित
उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी में ‘तीसरी आंख’ की खरीद में घोटाले पर शासन के तेवर सख्त
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : यूपी आयुष सोसायटी में ‘तीसरी आंख’ की खरीद में करोड़ों के घोटाले पर शासन ने सख्त रुख अपनाया है। प्रमुख सचिव आयुष लीना जौहरी के निर्देशों पर यूपी आयुष सोसाइटी के मिशन निदेशक महेंद्र वर्मा ने छह सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है।
‘सन्देश वाहक’ के खुलासे पर जांच शुरू हो गयी है। ऐसा लगता है कि प्रदेश भर के आयुष चिकित्सा केंद्रों पर लगने वाले सीसीटीवी सिस्टम के टेंडर को अफसरों की साठगांठ से मानो हाईजैक ही कर लिया गया था।
नियमों के मुताबिक टेंडर के लिए एलवन आयी फर्म प्रतीक इंटरप्राइजेस द्वारा किसी सरकारी विभाग (राज्य/केंद्र/पीएसयू) को सीसीटीवी कैमरे और बायोमेट्रिक सिस्टम से जुड़े उपकरण पिछले तीन वर्ष में सिंगल ऑर्डर के द्वारा आपूर्ति किये होने चाहिए थे। ऐसा खुद तकनीकी अहर्ताओं से जुड़े जेम पोर्टल पर दिए नियमों में स्पष्ट है।
करोड़ों के टेंडर में पूलिंग के संकेत
इस फर्म ने ऐसा कोई दस्तावेज या परचेज ऑर्डर टेंडर के साथ जमा नहीं किया। अपने बचाव में अफसरों का तर्क है कि इस तरह के टेंडर में ऐसा नियम लागू नहीं होता। कमीशनखोर अफसरों को ये नहीं पता है कि इस टेंडर के लिए अनुबंध के समय खुद जेम पर ये दस्तावेज संलग्न किया गया है। टेंडर डालने वाली फर्में प्रतीक इंटर प्राइजेस, शिव गंगा इलेक्ट्रिकल और त्र्यंबकेश्वर गोदावरी ट्रेडर्स ने एक ही दिन यानि 29 जनवरी को महज 30 मिनट के भीतर टेंडर में प्रतिभाग किया।
यही नहीं तीनों फर्मों की प्रस्तावित दरों में भी सिर्फ एक से तीन लाख का ही अंतर है। वहीं स्थानीय डीलरों के अलावा इस टेंडर में किसी भी निर्माता फर्म ने प्रतिभाग नहीं किया। ये भी बेहद बेहद आश्चर्यजनक है। जिस फर्म प्रतीक इंटर प्राइजेस को ठेका दिया गया है। उसके पते पर फर्म के संचालक का आवास चलता मिला।
इस बात की पूरी संभावना है कि करोड़ों के टेंडर को मनमाफिक कीमतों पर हथियाने के लिए पूलिंग की साजिश रची गयी थी। जिसमें सोसाइटी के कमीशनखोर अफसर शामिल हैं। तभी तीन गुना अधिक दामों पर खरीद करके करोड़ों के सीसीटीवी घोटाले की नींव रखी गयी है।
जांच रिपोर्ट अतिशीघ्र शासन को भेजेंगे : मिशन निदेशक
यूपी आयुष सोसाइटी के मिशन निदेशक महेंद्र वर्मा का कहना है कि इस टेंडर की जांच शुरू कराई गयी है। छह अफसरों की टीम से आख्या मांगी है। जांच शुरू होने के दौरान इसकी गोपनीयता को देखते हुए इससे अधिक जानकारी नहीं दी जा सकती है। अतिशीघ्र जांच पूरी करके रिपोर्ट शासन भेजी जायेगी।
आरोपी अफसरों का तगड़ा रसूख, निष्पक्ष जांच पर उठे सवाल
करोड़ों के सीसीटीवी घोटाले का सीधा आरोप आयुष सोसाइटी से लेकर तत्कालीन प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला के ऊपर है। टेंडर जारी करने के समय तत्कालीन मिशन निदेशक सुखलाल भारती भी मौजूद थे। टेंडर की पूरी प्रक्रिया संभालने वाले कार्यक्रम प्रबंधक अरविन्द शर्मा भी जांच के घेरे में है। सूत्रों की माने तो आयुष सोसाइटी के बंद कमरे में तीन अफसरों के पैनल ने पूरी साजिश को अंजाम दिया है। जिसमें अकाउंट की एक महिला अफसर भी घेरे में है। सोसाइटी के इन अफसरों के रहते करोड़ों के घोटाले की निष्पक्ष जांच पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। मनमाफिक रिपोर्ट तैयार करके खानापूर्ति की पूरी तैयारी की जा रही है।
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