पर्दाफाश : अब आयुष विभाग में ‘तीसरी आंख’ की खरीद में करोड़ों का घोटाला
प्रशांत त्रिवेदी के बाद एक और प्रमुख सचिव रहीं आराधना शुक्ला पर संगीन आरोप, कई देशों में ब्लैकलिस्ट चीनी कंपनी से खरीद
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava : लखनऊ आयुष विभाग के प्रमुख सचिवों को घोटालों से कुछ अधिक ही प्रेम है। तभी कॉलेजों में हुए दाखिलों में फर्जीवाड़े पर जहां प्रशांत त्रिवेदी सीबीआई जांच के शिकंजे में फंसे। वहीं अब विभाग की प्रमुख सचिव रहीं आराधना शुक्ला भी ‘तीसरी आंख’ की खरीद में करोड़ों के घोटाले से घिर गयी हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी कई गुना अधिक कीमतों पर उस चीनी कम्पनी हिकविजन से खरीद कर रही है, जो न सिर्फ जासूसी के आरोपों से घिरी है बल्कि कई देशों में ब्लैकलिस्ट भी है। भारत में भी इस पर गंभीर सवाल खड़े हो चुके हैं। आयुष मिशन का बजट लूटने में अफसरों का कोई सानी नहीं है।
आयुष चिकित्सालयों को सीसीटीवी कैमरों और बायोमेट्रिक अटेंडेंस मशीनों से लैस किया जा रहा
यूपी के 871 हेल्थ वेलनेस सेंटर्स, 19 आयुष महाविद्यालयों और 11 पचास शैय्या आयुष चिकित्सालयों को सीसीटीवी कैमरों और बायोमेट्रिक अटेंडेंस मशीनों से लैस किया जा रहा है। इसके लिए दो मई को आयुष के मिशन निदेशक महेंद्र वर्मा ने मेसर्स प्रतीक इंटर प्राइजेस को आपूर्ति आदेश जारी किया है।
‘संदेश वाहक’ के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक आयुष सोसाइटी की ओर से 21 जनवरी को जेम पोर्टल पर इसका जो टेंडर अपलोड किया गया था। उसके मुताबिक प्रदेश में सीसीटीवी कैमरे (बुलेट और डोम) 4413 और 901 बीबीएएमएस 901 और 79 डीवीआर को खरीदा जाना था।
अफसरों ने सीसीटीवी कैमरों की तकनीकी विशेषताओं में एजविज क्लाउड प्रॉपरेटरी प्रोटोकॉल डालकर पहले ही घोटाले की स्क्रिप्ट तैयार कर ली। ये क्लाउड चीनी कम्पनी हिकविजन का है। कैमरे भी इसी कंपनी के खरीदने की तैयारी थी। आयुष सोसाइटी के अफसरों ने न्यूनतम दरों के आधार पर लखनऊ में सीतापुर रोड खदरा की फर्म प्रतीक इंटर प्राइजेस से खरीद को हरी झंडी दिखाई।
इस फर्म ने चीनी कंपनी हिकविजन के डोम कैमरा वाईफाई के जिस मॉडल टीवाई वन को 6715 रूपए प्रति की दर से आयुष सोसायटी को आपूर्ति किया। उसकी बाजार कीमत महज 2100 से 2200 रुपए है। फिलहाल ये मॉडल अब बाजार से गायब है।
डीवीआर और दूसरे मॉडल के कैमरों को भी महंगी दरों पर खरीदा
इस मॉडल के 3484 कैमरे दो करोड़ 33 लाख 95 हजार 60 रुपयों में खरीदे जा रहे हैं। वहीं इसी कंपनी की 901 बायोमेट्रिक अटेंडेंस मशीनों को 9495 रुपए प्रति की दर से आपूर्ति किया जा रहा है। इसकी भी बाजार कीमत पांच हजार रुपए से कम है। इसके लिए आयुष सोसाइटी 85 लाख 54 हजार 995 रुपए चुकायेगी। इसी तरह डीवीआर और दूसरे मॉडल के कैमरों को भी महंगी दरों पर खरीदा गया है।
‘तीसरी आंख’ से संबंधित उपकरणों को आयुष सोसाइटी में कुल तीन करोड़ 76 लाख 29 हजार 805 रुपयों में खरीद कर एक बड़े घोटाले की नींव रखी गई है। इस खरीद में अफसरों ने करोड़ों की कमीशनखोरी की कलंक कथा लिखी है। तत्कालीन प्रमुख सचिव आयुष आराधना शुक्ला (सेवानिवृत्त) के निर्देशों पर खरीद को अंजाम दिया गया। सारी प्रक्रिया देखने वाले आयुष सोसाइटी के कार्यक्रम प्रबंधक अरविंद की भी घोटाले में संदिग्ध भूमिका है।
प्रमुख सचिव के निर्देशों पर खरीद हुई: मिशन निदेशक
उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी के मिशन निदेशक महेंद्र वर्मा ने ‘संदेश वाहक’ से साफ तौर पर कहा कि सारी खरीद प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला के आदेशों पर की गयी है। जेम पोर्टल पर एलवन आयी फर्म को ठेका दिया गया है। कीमतों में भारी अंतर पर निदेशक ने कहा कि पूरे मामले को दिखवाया जाएगा। वहीं शासन में बड़े अफसरों की जानकारी में मामला आने के बावजूद उन्होंने किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
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