विडंबना: अपनी ही बेशकीमती जमीनों को बचाने में नाकाम एलडीए
लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) अपनी बेशकीमती जमीनों को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है।
Sandesh Wahak Digital Desk: लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) अपनी बेशकीमती जमीनों को बचाने में नाकाम साबित हो रहा है। एलडीए में जिन जमीनों पर अवैध कब्जे की रिपोर्ट तैयार हो चुकी है उनपर भी कार्रवाई अभी तक ठण्डे बस्ते में हैं। करोड़ों की जमीनों पर अवैध कब्जे हैं, इसका खुलासा ऑडिट में भी सामने आ चुका है।
गोमतीनगर के सबसे पाश इलाके विभूतिखंड में प्राधिकरण की ही अर्जित जमीन पर प्लाटिंग हो गई। मिलीभगत के चले निचले स्तर पर मामले को दबा लिया। लेकिन भूमि की ऑडिट के दौरान मामला अफसरों ने पकड़ लिया। कुछ महीनों पहले अवैध प्लाटिंग से कब्जा हटने के लिए एलडीए में ध्वस्तकरण का आदेश जारी किया गया,मगर अभी तक जमीनी कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। गोमती नगर ही नहीं बल्कि एलडीए तमाम जगह अपनी अर्जित भूमि की जांच कर चुका है। गोमती नगर में करीब 50 से अधिक प्लाट संदिग्ध स्थिति में मिले हैं।
बताया जा रहा है कि इन प्लाटों पर निर्माण किसी दूसरे का है, जबकि जमीन की रजिस्ट्री किसी दूसरे के नाम पर है। यही नहीं जमीन संबंधी तमाम रिकार्ड एलडीए अफसरों को खोजे नहीं मिल रहे हैं। इसी तरह विभूतिखंड के प्राथमिक विद्यालय के पास करीब पांच हजार वर्ग मीटर की जमीन पर कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है।
मिलीभगत से हो रहे बड़े-बड़े खेल
एलडीए के कुछ कर्मचारी नौकरी के साथ-साथ प्रापर्टी के कामों में सक्रिय हैं। प्राधिकरण की अर्जित जमीनों के कागजों में हेराफेरी कर उन्हें दलालों के माध्यम से बेचने का खेल भी कई सामने आ चुका है। अगर इन मामलों में गहनता से जांच की जाए तो बड़ा खुलासा हो सकता है।
ई-नीलामी तो दूर, नहीं हटा कब्जा
विभूतिखंड के प्राथमिक विद्यालय के पास इस बेशकीमती जमीन का नक्शा मंगाया गया। उस पर स्टे लिखा था। जांच अर्जन अनुभाग से की गई। पता चला कि जमीन पर कोई स्टे ही नहीं है। इस जमीन का नियोजन करके इसे ई-नीलामी में शामिल करने की तैयारी थी। लेकिन एलडीए कब्जा नहीं हटा पाया।
अर्जित जमीनों की सूची तैयार करने और उससे अवैध कब्जे हटाने के लिए संबंधित अफसरों की जिम्मेदारी तय की गई है। पिछले कुछ महीनों में बड़े पैमाने पर जमीने कब्जामुक्त कराई गई हैं। आगे भी अभियान चलता रहेगा।
डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी, उपाध्यक्ष
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