Health Information: हार्मोन्स असंतुलित होने पर दिखाई देते हैं कुछ इस तरह के लक्षण
शरीर में कोई भी अंदरूनी बदलाव होने पर उसका असर बाहर नजर आने लगता है। लेकिन वहीं कुछ बदलाव ऐसे भी हैं जिनके लक्षणों का बाहरी तौर पर पता नहीं चल पाता है।
Sandesh Wahak Digital Desk: शरीर में कोई भी अंदरूनी बदलाव होने पर उसका असर बाहर नजर आने लगता है। लेकिन वहीं कुछ बदलाव ऐसे भी हैं जिनके लक्षणों का बाहरी तौर पर पता नहीं चल पाता है। इन्हीं बदलावों में शामिल है हार्मोनल असंतुलन होना। जब किसी व्यक्ति में हार्मोनल असंतुलन होता है, तो उसमें हार्मोन की मात्रा बहुत ज्यादा या बहुत कम होने लगती है। ऐसे में कोई छोटा बदलाव भी पूरे शरीर पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। जबकि उम्र बढऩे के साथ हमारे शरीर में हार्मोन के स्तर में उतार-चढ़ाव आता रहता है।
वहीं कुछ चिकित्सीय स्थितियां भी ऐसी हैं, जिनके कारण हार्मोन्स में अत्यधिक उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसलिए इन बदलावों का समय पर पता लगाना बेहद जरूरी है। पुरुषों में होने वाली इस समस्या के बारे में जानने के लिए हमने बात की सीके बिड़ला अस्पताल (गुरुग्राम) के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के लीड कंसल्टेंट डॉ तुषार तायल से। जिन्होनें इस बारे में विशेष जानकारी हमसे साझा की।
शरीर के आवश्यक हार्मोन्स जैसे कि थायराइड हार्मोन, कोर्टिसोल, टेस्टोस्टेरोन, इंसुलिन, पैराथारमोन हार्मोन के असंतुलित होने पर भी हार्मोन असंतुलन हो सकता है। इसके अलावा खराब खानपान, अत्यधिक तनाव, ज्यादा या बहुत कम वजन होना और कुछ हार्मोनल रिप्लेसमेंट थेरेपी भी इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।
एक्सपर्ट के मुताबिक स्टेरॉयड का दुरुपयोग, पिट्यूटरी ट्यूमर, आयोडीन की कमी या एंडोक्राइन ग्लैंड में किसी तरह की चोट लगना भी हार्मोन असंतुलित होने के कारण हो सकते हैं।
हार्मोनल असंतुलन के लक्षण
- बहुत ज्यादा वजन बढऩा या घटना
- अत्यधिक थकान रहना
- मांसपेशियों या जोड़ों में दर्द रहना
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- ठंड या गर्मी असहिष्णुता
- कब्ज होना या दिन में कई बार मल त्याग करना
- जल्दी पेशाब आना
- प्यास और भूख का बढऩा
- ज्यादातर समय डिप्रेशन
- घबराहट या चिंता रहना
हार्मोनल असंतुलन का पता केवल मेडिकल जांच कराने के बाद ही लगाया जा सकता है। इसके लिए जरूरी ब्लड टेस्ट, एमआरआई (MRI), अल्ट्रासाउंड कराना जरूरी है। लेकिन अपने लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव करके भी इस समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है। कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग सहित रोज कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम करना काफी असरदार हो सकता है। अपनी डाइट में काब्र्स, प्रोटीन और हेल्दी फेट्स (Carbs, Protein, and Healthy Fats) की मात्रा बढ़ाना, इस समस्या में धूम्रपान और शराब से परहेज रखना बेहद जरूरी है। जैविक खाद्य उत्पादों का ज्यादा सेवन करने की कोशिश करें। खाना गर्म करने और परोसने के लिए प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल न करें।
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