अपनों पर करम: पंचायती राज के बड़े अफसरों पर शासन मेहरबान
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में करोड़ों के घोटाले का मामला, पूर्व निदेशक व डीएम से मांगा था स्पष्टीकरण
Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के पंचायती राज विभाग में घोटालों के जिम्मेदार बड़े अफसरों पर कार्रवाई का शिकंजा कभी नहीं कसता है। इसका ताजा उदाहरण स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण में ओडीएफ प्लस ग्रामों में अपशिष्ट प्रबंधन निर्माण के लिए आयी करोड़ों की रकम में बड़ा घोटाला है। जांच में तत्कालीन पंचायती राज निदेशक समेत डीएम कानपुर देहात की लापरवाही पाए जाने के बावजूद कार्रवाई ठन्डे बस्ते में है। दरअसल फरवरी में अपर मुख्य सचिव पंचायती राज मनोज कुमार सिंह ने इस घोटाले में विभाग के पांच अफसरों को निलंबित किया था।
वहीं कई कंसल्टेंट्स की सेवाएं खत्म हुई थी। जांच में सामने आया था तत्कालीन पंचायती राज निदेशक अनुज झा और कानपुर देहात की डीएम व सीडीओ ने भी लापरवाही बरती। जिसके बाद शासन ने तीनो बड़े अफसरों का स्पष्टीकरण भी तलब किया था। यही नहीं कानपुर देहात के अकबरपुर थाने में इस घोटाले को लेकर एफआईआर भी दर्ज हुई। लेकिन अभी तक करोड़ों के घोटाले की जांच अधर में है। शासन ने अभी तक इन अफसरों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की है। उलटे तत्कालीन पंचायती राज निदेशक अनुज कुमार झा को जौनपुर का डीएम बना दिया गया। बजट अलग-अलग फर्मों को ट्रांसफर करते हुए 3.72 करोड़ रुपये की राशि गलत तरीके से निकाली गयी थी। बगैर कार्य करवाए संबंधित एजेंसियों व फर्मों को करोड़ों के भुगतान पर शासन की जांच के बाद इस घोटाले का खुलासा हुआ था।
तत्कालीन पंचायती राज निदेशक और मौजूदा जौनपुर डीएम अनुज झा के ऊपर ये पहले घोटाले में लापरवाही का आरोप नहीं है। अयोध्या डीएम रहते कौडिय़ों के भाव राम मंदिर निर्माण के करीब बेशकीमती जमीन खरीदने का आरोप भी इस अफसर पर है। जिसकी जांच शुरू तो हुई, लेकिन कार्रवाई इस मामले से जुड़े किसी भी अफसर पर नहीं हुई।
700 करोड़ के ग्रांट घोटाले के आरोपियों पर भी दरियादिली
इसी तरह छह वर्ष पहले 700 करोड़ के परफॉर्मेंस ग्रांट घोटाले में विजिलेंस ने तत्कालीन पंचायती राज निदेशक विजय किरण आनंद के खिलाफ अभियोजन मंजूरी शासन से मांगी थी। जो आजतक लंबित है। ये अफसर अब डीजी स्कूल शिक्षा जैसे अहम पद पर तैनात है। घोटाले के एक अन्य आरोपित को जांच के दौरान ही पीसीएस से आईएएस संवर्ग में प्रमोशन तक दे दिया गया। वहीं दूसरे अफसर को डीपीआरओ से डिप्टी डायरेक्टर के पद पर प्रमोशन देकर उन्हें पूर्व में ही लखनऊ मंडल में दो-दो महत्वपूर्ण चार्ज दिए गए थे।
एसीएस ने काटा फोन, सीओ अकबरपुर को कुछ पता नहीं
एसीएस पंचायती राज मनोज कुमार सिंह का इस मामले में पक्ष जानने के लिए कई बार फोन किया गया। लेकिन उन्होंने फोन उठाकर काट दिया। वहीं कानपुर देहात के क्षेत्राधिकारी (अकबरपुर) प्रभात कुमार से करोड़ों के इस घोटाले की दर्ज एफआईआर की जांच के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अभी मुझे पता नहीं है। कल रिकॉर्ड देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।
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