गर्मी में फंगल इन्फेक्शन… बढ़ सकती है परेशानी, करें ये उपाय
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती चली जा रही है तो इसके साथ ही साथ दाद-खाज-खुजली की समस्या भी बढ़ती चली जा रही है।
Sandesh Wahak Digital Desk: जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती चली जा रही है तो इसके साथ ही साथ दाद-खाज-खुजली की समस्या भी बढ़ती चली जा रही है। दाद, खाज, खुजली को ही फंगल इंफेक्शन भी कहते हैं। ठंड के मौसम में सर्दी-खांसी, गर्मी में फंगल इंफेक्शन और बारिश में वायरल फीवर। ये मौसमी बीमारियां जरूर हैं, लेकिन ये हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को काफी प्रभावित करती हैं। गर्मी के इस मौसम में लोग फंगल इंफेक्शन से भी परेशान हैं। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, दाद-खाज, खुजली और चर्म रोगों से परेशान मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। आइए विस्तृत जानकारी के साथ फंगल इन्फेक्शन के बारे में थोड़ी चर्चा करे…
गर्मी में फंगल इंफेक्शन ज्यादा क्यों होता है?
गर्मी में फंगल इंफेक्शन का कारण पसीना है। पसीने की वजह से ही शरीर में फंगस जो बैक्टीरिया से पनपता है, को जगह मिलती है। फंगस को शरीर में फैलने के लिए नमी की जरूरत होती है और गर्मी में शरीर के कई हिस्सों में पसीना आता है और नमी बनी रहती है। ऐसी ही जगहों पर फंगस जल्दी फैलता है और इंफेक्शन बढ़ने लगता है।
फंगल इंफेक्शन हो जाए तो क्या करें?
चिकित्सक के पास जाकर बिना संकोच उनको फंगल इन्फेक्शन जहां पर हुआ है उसको दिखाएं तथा चिकित्सक में जो भी दवाई दिया होगा तथा क्रीम दिया होगा उस को नियमित रूप से खाएं एवं लगाएं। बाजार में किसी भी मेडिकल स्टोर से जाकर अपने मन से कोई भी क्रीम खरीद कर ना लगाएं नहीं तो बाद में इसका रिएक्शन हो सकता है। पर्सनल हाइजीन यानी स्वच्छता का भी पूरी तरह से ध्यान रखें।
बगल यानी आर्मपिट्स को साफ करना न भूलें। अगर पसीना अधिक आता है तो इसकी साफ-सफाई जरूरी है। ऐसा नहीं करने से बैक्टीरिया अधिक पनपेंगे, बदबू भी अधिक आएगी और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाएगा।
फंगल इंफेक्शन कितने तरह के होते हैं?
- एथलीट फुट या पैरों में दाद की समस्या- इस समस्या से पुरुष ज्यादतर परेशान होते हैं। इसमें फंगल गर्म और नम वातावरण में पनपता है। यानी यह जूते, मोजे, स्वीमिंग पूल जैसी जगहों में तेजी से बढ़ता है।
- दाद- यह फंगल इंफेक्शन का बहुत ही कॉमन रूप है। इसे रिंग वर्म अथवा दिनाय कहते हैं। यह सिर, जांघ, पैर अथवा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसमें सबसे पहले एक लाल पपड़ीदार गांठ होता है, जो खुजली करता है। समय के साथ यह एक गोला का रूप धर लेता है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और इसका नियमित रूप से धैर्य पूर्वक दवा करानी चाहिए।
- नाखून में फंगस- इसकी शुरुआत नाखून के टिप से होती है। शुरुआत में सफेद या पीले रंग के दाग दिखते हैं। जैसे-जैसे इंफेक्शन बढ़ता है, नाखून का रंग बदरंग होने लगता है। नाखून मोटा हो जाता है और किनारे से उखड़ने या टूटने लगता है। पैरों के नाखूनों में यह समस्या ज्यादा होती है।
- जांघों में खुजली होना- इस इंफेक्शन को इच या टीनिया क्रूरिस कहा जाता है। यह दिक्कतपुरुषों में ज्यादा देखी जाती है। यह शरीर के उन हिस्सों में फैलता है, जहां पसीना ज्यादा आता है। इसलिए जांघों के अलावा यह जननांगों में भी हो सकता है तथा पीछे और कांख में भी होता है।
फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज क्या है?
चिकित्सक के पास जाने से पहले घरेलू उपचार के रूप में फंगल इन्फेक्शन का घरेलू इलाज कर लेना ज्यादा बेहतर है। इस भयानक गर्मी के मौसम में दिन में दो बार कम से कम स्नान करें और जिस पानी से स्नान करें उसमें एंटीसेप्टिक लिक्विड (डिटॉल, सैवलान) के डाल दें। अपना बनियान-अंडरवियर तौलिया एवं साबुन अलग रखें। स्नान करने के बाद अपने शरीर के सभी अंगों पर बढ़िया से टेलकम पाउडर छिड़कें तथा पंखे के नीचे बैठे। इस समय अत्यधिक गरिष्ठ एवं तैलीय भोजन ना ही करें तो बेहतर है। सादा भोजन, मौसमी हरी सब्जी, छाछ-मट्ठा-दही, मौसमी फल का भरपूर सेवन करें। मांसाहार यथासंभव कम ही करें तो बेहतर है। शादी ब्याह की पार्टियों में कम से कम भोजन करें एवं अपने घर पर आकर घर का भोजन करें तो बेहतर है।