CBI के ‘विभीषणों’ ने गिराई शीर्ष जांच एजेंसी की साख, तमाम अहम जांचों से भी हुआ खिलवाड़
राजूपाल हत्याकांड मामले में सीबीआई (CBI) के डिप्टी एसपी अमित कुमार पर माफिया अतीक अहमद को बचाने का संगीन आरोप लगा है।
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastav: राजूपाल हत्याकांड मामले में सीबीआई (CBI) के डिप्टी एसपी अमित कुमार पर माफिया अतीक अहमद को बचाने का संगीन आरोप लगा है। खुद यूपी सरकार ने गृह मंत्रालय में इसकी शिकायत दर्ज कराई है। कहने को सीबीआई देश की शीर्ष जांच एजेंसी है। इसके बावजूद यूपी के प्रमुख मामलों की जांचों में एजेंसी के अपनों ने ही इसकी साख को सरेबाजार नीलाम करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी है।
सबसे प्रमुख प्रकरण सीबीआई के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर व यूपी कैडर के आईपीएस भानु भास्कर का था। भास्कर फिलहाल प्रयागराज जोन के एडीजी हैं। सीबीआई के तत्कालीन एसपी (एसीबी) एसके खरे ने सीबीआई निदेशक को एक गोपनीय पत्र भेजा था। जिसमें सीबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर भानु भास्कर पर रांची में इलाहाबाद बैंक के साथ हुए फ्रॉड और यूपी के भदोही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ हुए फ्रॉड के मामलों में करीब दस महीने तक चार्जशीट लगाने और प्रारंभिक जांच शुरू करने की फाइल को लटकाए रखने का आरोप लगाया गया था। स्टेट बैंक मामले में आरोपी समर बहादुर सिंह को भानु भास्कर का करीबी रिश्तेदार बताया गया था। खरे का आरोप था कि रांची के केस में आरोपी संजय सिंह से समझौता करने के लिए जांच अधिकारियों पर दबाव भी डाला गया।
इसी मामले में सीबीआई के एक तत्कालीन अन्य जॉइंट डायरेक्टर राजीव सिंह पर अपने रिश्तेदार को बचाने की कोशिश करने के आरोप लगा था। इसके बाद उन्हें अपने मूल कैडर वापस भेजा गया। वहीं खरे के पत्र के बाद भानु भास्कर का सीबीआई में सेवा विस्तार लटक गया था।
इसी तरह दूसरे मामले में जनवरी 2021 में सीबीआई (CBI) ने अपने ही डिप्टी एसपी राजीव ऋषि, आरके सांगवान, इंस्पेक्टर कपिल धनखड़ समेत चार अफसरों के कानपुर, गाजियाबाद और नोएडा समेत अन्य शहरों के 14 ठिकानों पर छापे मारे थे। आरोप 14 बैंकों के कंसोर्टियम को 3592 करोड़ का चूना लगाने समेत कई बैंक फ्रॉड के मामलों की जांचों को प्रभावित करने के लिए घूस लेने का था। बाकायदा सीबीआई के ये अफसर रैकेट चला रहे थे।
बारी अब गाजियाबाद की सीबीआई ट्रेनिंग अकादमी में तैनात रहे इंस्पेक्टर वीएस राठौर और एएसआई सुनील दत्त की है। इन अफसरों पर यमुना अथॉरिटी के करोड़ों के घोटाले में एक तहसीलदार को बचाने के लिए जांच को प्रभावित करने का गंभीर आरोप लगा था। फरवरी 2019 में एफआईआर दर्ज करने के बाद इन अफसरों को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था। दोनों ने जांच प्रभावित करने के लिए मोटा पैसा लिया था। वहीं एलडीए के करोड़ों के जानकीपुरम प्लॉट आवंटन घोटाले की जांच में भी खिलवाड़ करने का संगीन आरोप है। सूत्रों के मुताबिक इस घोटाले के तत्कालीन जांच अधिकारी को इस मेहरबानी के बदले तकरीबन ढाई हजार वर्ग मीटर का बेशकीमती एलडीए का प्लॉट दिया गया था।
अतीक मामले में गृह मंत्रालय ने दिए जांच के आदेश
राजू पाल हत्याकांड मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने अतीक अहमद के गवाह बने सीबीआई के डिप्टी एसपी अमित कुमार के खिलाफ केंद्र सरकार के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन पर दिवंगत माफिया अतीक अहमद को बचाने का आरोप है। उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट में गवाही देते हुए सीबीआई अफसर अमित कुमार ने दावा किया था कि उमेश खुद आरोपी अतीक अहमद के साथ मिले हुए थे। अमित कुमार ने कोर्ट में बताया था कि जांच के दौरान उन्हें उमेश पाल की किडनैपिंग से जुड़े कोई सबूत नहीं मिले। अमित कुमार पर राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल का नाम गवाहों की सूची से हटाने का भी आरोप है।
गृह मंत्रालय ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। इसके लिए सीबीआई टीम (CBI Team) प्रयागराज पहुंच गई है जो रिपोर्ट तैयार कर मंत्रालय को सौंपेगी।
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