संपादकीय: भारत में फांसी की सजा पर मंथन के मायने
देश की शीर्ष अदालत में अब फांसी के जरिए मृत्युदंड देने के तरीके पर बहस शुरू हो गई है।
Sandesh Wahak Digital Desk: देश की शीर्ष अदालत में अब फांसी के जरिए मृत्युदंड देने के तरीके पर बहस शुरू हो गई है। याचिकाकर्ता ने फांसी को बेहद दर्दनाक बताते हुए इसके तरीके में बदलाव की मांग की है। केंद्र सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया है कि फांसी के जरिए मृत्युदंड देने के तरीके पर विचार करने के लिए वह विशेषज्ञों की कमेटी बनाने पर विचार कर रही है।
सवाल यह है कि…
- फांसी की सजा को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच मंथन के मायने क्या हैं?
- क्या सजा के तरीके में बदलाव किए जाने की जरूरत है?
- क्या अन्य राष्ट्रों की तरह देश में भी मौत की सजा को समाप्त कर देना चाहिए?
- क्या जघन्य अपराधों में मौत की सजा को समाप्त करना पीडि़त को पूर्ण न्याय देने की असफलता को साबित नहीं करेगा?
- क्या मृत्युदंड के अन्य सुझाए गए तरीके फांसी से कम दर्दनाक व वैज्ञानिक मानकों पर खरे उतरेंगे?
20 साल में 2543 को सुनाई गई फांसी की सजा
भारतीय दंड संहिता में जघन्य अपराधों विशेषकर हत्या जैसे मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है। मौत की सजा प्राप्त दोषी को फांसी पर चढ़ाने के तरीके को देश में मान्यता दी गयी है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2001 से 2020 तक 2,543 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई। बाद में इनमें से ज्यादातर की सजा उम्रकैद में तब्दील कर दी गई। सिर्फ आठ दोषियों को ही फांसी की सजा हुई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल में चिंता जाहिर की थी। कोर्ट ने कहा था कि दया याचिकाओं के निस्तारण में देरी से अपराधी को मौत की सजा देने के पीछे का लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा है। इसका फायदा न केवल दोषी उठाता है बल्कि इससे पीडि़तों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
2017 में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
वहीं अब दोषियों को फांसी की सजा देने के तरीके पर सवाल उठने लगे हैं। इस मामले में 2017 में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया है कि मृत्युदंड देने की प्रचलित फांसी देने की प्रक्रिया दर्दनाक है इसलिए इसमें बदलव किए जाएं। यही नहीं याचिकाकर्ता ने इसके सापेक्ष अन्य तरीकों मसलन जहरीले इंजेक्शन लगाने, गोली मारने, करंट लगाने या गैस चैम्बर का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है। केंद्र ने इस पर विचार करने के लिए कमेटी गठित करने की बात कही है।
108 देशों में मृत्युदंड को किया गया समाप्त
दूसरी ओर कई सामाजिक और मानवाधिकार संगठन फांसी या मृत्युदंड की सजा को ही समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि विश्व के करीब 108 देशों में मृत्युदंड को समाप्त कर दिया गया है, लिहाजा यहां भी ऐसा किया जाना चाहिए। हालांकि सरकार मृत्युदंड को खत्म करने पर कोई विचार नहीं कर रही है लेकिन फांसी को लेकर विचार करने पर वह राजी हो गयी है। बावजूद इसके सरकार को मौत की सजा के तरीके पर विचार करने के साथ अपराधों की गंभीरता का भी ध्यान रखना होगा ताकि संविधान के पूर्ण न्याय के सिद्धांत की अवहेलना न हो।
इन देशों में दी जाती है फांसी की सजा
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