संपादकीय: परीक्षा में शुचिता का सवाल
लखनऊ में वन दारोगा की मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर को एग्जाम देते पकड़ा गया। इसके लिए आरोपी ने अभ्यर्थी से चार लाख रुपये की डील की थी।
Sandesh Wahak Digital Desk: लखनऊ में वन दारोगा की मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर को एग्जाम देते पकड़ा गया। इसके लिए आरोपी ने अभ्यर्थी से चार लाख रुपये की डील की थी। इससे साफ है कि तमाम दावों के बावजूद अभी भी परीक्षा प्रणाली को फुल प्रूफ नहीं बनाया जा सका है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब दूसरे के स्थान पर सॉल्वर परीक्षा देते हुए पकड़ा गया है। कई भर्ती परीक्षाओं में ऐसे कई सॉल्वर पकड़े जा चुके हैं। प्रश्न पत्र तक लीक किए गए हैं। इसमें केंद्र संचालक से लेकर परीक्षा ड्यूटी निभाने वाले शिक्षक तक संलिप्त पाए गए हैं।
सवाल यह है कि…
- परीक्षा प्रणाली में हो रही धांधली पर रोक क्यों नहीं लग रही है?
- वे कौन लोग हैं जो मेहनत से पढ़ाई करने वाले छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं?
- क्या सरकारी कर्मियों की मिलीभगत के बिना अभ्यर्थी के स्थान पर दूसरा व्यक्ति परीक्षा दे सकता है?
- क्या परीक्षा की शुचिता को बनाए रखने की जिम्मेदारी सरकार की नहीं है?
- क्या ऐसी घटनाएं भर्ती परीक्षा के प्रति अविश्वास को जन्म नहीं देगी?
- क्या भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को अपनी चपेट में ले लिया है?
प्रदेश में आईटी-मेडिकल और भर्ती परीक्षाओं में सॉल्वर गैंग सक्रिय हैं। इसकी पुष्टि इस अवधि के दौरान पकड़े गए कई सॉल्वरों से पूछताछ के बाद हुए खुलासे से होती है। सच यह है कि पूरे प्रदेश और इसके बाहर भी सॉल्वर गैंग का नेटवर्क फैला है। ये अभ्यर्थी से मोटी रकम लेकर परीक्षा पास कराने की गारंटी देते हैं। यह रकम परीक्षा की अहमियत और ओहदे के आधार पर निर्धारित की जाती है। गैंग प्रश्न पत्रों को लीक करने से लेकर अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर उपलब्ध कराने तक के ठेके लेते हैं।
प्रदेश सरकार के दावे फेल
इसमें दो राय नहीं कि यह सब सरकारी कर्मियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं हो सकता है। इस नेटवर्क में परीक्षा केंद्र संचालक, परीक्षक और संबंधित विभाग से जुड़े लोग संलिप्त होते हैं। ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं। जांच में कई नेटवर्क का खुलासा भी चुका है। यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार भर्तियों में शुचिता और पारदर्शिता का दावा करती है। कई बार प्रश्न पत्रों के लीक होने से परीक्षाएं तक रद्द करनी पड़ी हैं।
सरकार की साख पर भी उठेगा सवाल
जाहिर है, यह उन परीक्षार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ करना है जो मेहनत से परीक्षा पास करने की कोशिश करते हैं। वहीं लाखों रुपये लेकर परीक्षार्थियों की जगह सॉल्वर द्वारा पेपर हल करने का धंधा जारी है। इस प्रकार की घटनाएं निश्चित रूप से न केवल परीक्षा प्रणाली को कठघरे में खड़ा करती हैं बल्कि आम आदमी के मन में सरकारी भर्तियों को लेकर शंका का भाव जागृत करती हैं। यह स्थितियां सरकार की साख के लिए अच्छी नहीं है।
यदि सरकार परीक्षा की शुचिता बनाए रखना चाहती है तो उसे न केवल साल्वर गैंग पर शिकंजा कसना होगा बल्कि संबंधित विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी खत्म करना होगा। इसके अलावा परीक्षा प्रणाली को पूरी तरह फुल प्रूफ बनाना होगा ताकि कोई व्यक्ति इसमें सेंध न लगा सके।