लखनऊ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति पत्र बांटने का खेल, ऐसे हुआ पूरे मामले का खुलासा
मृतक आश्रित व तबादला आदेश के जरिए निर्गत सात नियुक्ति पत्र पकड़े
Sandesh Wahak Digital Desk : लखनऊ नगर निगम में विभागीय फाइलों से लेकर नियुक्ति के नाम पर भी फर्जीवाड़े का खेल जारी है। इस खेल का मुख्य खिलाड़ी नगर निगम का एक निलंबित बाबू बताया जा रहा है। जिसने निलंबन से पूर्व कई फर्जी काम किए है। अब यही फर्जीवाड़ा धीरे-धीरे समाने आना शुरू हो गया है।
इस बार नगर निगम में आधा दर्जन से अधिक फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़े गए हैं। यह नियुक्ति पत्र मृतक आश्रित और तबादला आदेश के जरिए बनाया गया। जब यह लोग लेटर लेकर ज्वाइनिंग करने पहुंचे तब मामले का खुलासा हुआ। फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के ही एक सस्पेंड कर्मचारी का नाम सामने आया है।
स्वास्थ्य विभाग में फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले
नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में सबसे अधिक फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले सामने आ रहे हैं। फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पहुंची युवती संध्या का मामला भी दो दिन पहले पकड़ा गया था। इसके बाद महिला ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील कुमार राव और नगर आयुक्त इन्द्रजीत सिंह को लिखकर दिया है कि उसे यह नियुक्ति पत्र विभाग के ही कर्मचारी ने दिया था। उसे पूर्व में सस्पेंड किया जा चुका है।
इसी तरह के आधा दर्जन अन्य मामले भी पकड़े गए हैं, जिनमें फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किया गया है। इनकी जांच चल रही है। मामले में नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील रावत ने सभी जोनल सेनेटरी अफसरों से स्पष्ट कहा है कि किसी की ज्वाइनिंग कराने से पहले पूरी जांच पड़ताल करा लें। ट्रांसफर आदेश पर भी तभी ज्वाइन कराएं जब पूरी जांच पड़ताल और मुख्यालय से इनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाए।
फर्जी मामले मृतक आश्रित और ट्रांसफर कोटे के
जो आधा दर्जन और फर्जी मामले पकड़े गए हैं यह सभी भी मृतक आश्रित और ट्रांसफर कोटे के हैं। यानी कर्मचारी को मृतक दिखाकर उनका बेटा बेटी बनाकर नियुक्ति पत्र जारी किया गया है। नगर आयुक्त तथा नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है।
कार्रवाई से पीछे हट रहे जिम्मेदार
नगर निगम में पिछले कुछ समय से फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने वालों का गिरोह सक्रिय है। लेकिन अभी तक मामले में नगर निगम अफसरों ने एफआईआर तक दर्ज नहीं करायी है। ऐसे में फर्जीवाड़ा करने वालों के हौसले बुलंद हैं। इसी वजह से फर्जीवाड़ा करने वालों में कार्रवाई का डर नहीं है। अभी तक एक भी मामले में नगर निगम ने एफआईआर नहीं दर्ज कराई है।
पद लिपिक का मगर रुतबा अफसरों वाला
नगर निगम में फर्जीवाड़े के लिए चर्चित इस लिपिक के बारे में अब यह भी चर्चा होने लगी है कि बाहुत ही कम समय में लिपिक की आय काफी तेजी से बढ़ी है। लिपिक ने पिछले कुछ सालों में लखनऊ में कई संपत्तियां भी खरीदी हैं।
फर्जी नियुक्ति पत्र मामले पकड़े गए हैं। एक युवती ने नगर आयुक्त से लिखित शिकायत की है। जिसमें युवती ने पत्र स्वास्थ्य विभाग के लिपिक के नाम का जिक्र किया है। जो वर्तमान में निलंबित चल रहा है।
सुनील रावत, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम।
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