Mutual Fund लेते समय बस इन बातों का रखें ध्यान, जानें इसके बारे में
Sandesh Wahak Digital Desk: जब भी हम और आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बारे में सोचते हैं तो हमारे सामने हर स्कीम के दो तरह के प्लान नजर आते हैं, पहला ‘Direct Plan’ होता है और दूसरा ‘Regular Plan’ होता है। दूसरी ओर यह एक ही म्यूचुअल फंड्स के दो प्लान होते हैं, लेकिन मामूली अंतर के कारण लॉन्ग टर्म में आपको लाखों रुपए का एडिशनल लाभ मिल सकता है।
बता दें कि यह दोनों प्लान एक ही म्यूचुअल फंड स्कीम का हिस्सा होते हैं, इन फंड्स के पोर्टफोलियो और फंड मैनेजर एक ही होते हैं, लेकिन एक्सपेंस रेशियो में थोड़ा अंतर होता है। अगर किसी फंड को खरीदते समय किसी डिस्ट्रीब्यूटर या एजेंट का सहारा नहीं लेते हैं तो यह डायरेक्ट प्लान होता है।
वहीं अगर किसी आप किसी डिस्ट्रीब्यूटर या एजेंट की मदद से प्लान खरीदते हैं तो यह रेग्युलर प्लान कहलाता है, इसमें कुछ परसेंट हर साल कमीशन के रूप में डिस्ट्रीब्यूटर/एजेंट को चला जाता है।
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