संपादकीय: व्यवस्था दुरुस्त करने का वक्त
कोरोना (Corona) ने एक बार फिर अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी है। पिछले कुछ दिनों से संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। कोरोना (Corona) ने एक बार फिर अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी है। पिछले कुछ दिनों से संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना की चपेट में आने से प्रतिदिन कई लोगों की मौत भी हो रही है। लिहाजा केंद्र सरकार ने राज्यों से सतर्क रहने और कोविड प्रबंधन की तैयारियों को तेज करने के निर्देश दिए हैं।
सवाल यह है कि…
- क्या कोरोना की एक और लहर की आहट सुनायी देने लगी है?
- क्या उत्तर प्रदेश समेत देश भर के तमाम राज्यों में चिकित्सा सेवाएं दुरुस्त और वायरस से निपटने को तैयार हैं?
- क्या मॉक ड्रिल वस्तु स्थिति को साफ कर पाएगी? क्या आम आदमी को जागरूक किए बिना महामारी से निपटा जा सकेगा?
- क्या नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने को तैयार हैं? क्या एक और लहर अर्थव्यवस्था को फिर से बेपटरी नहीं कर देगी?
- क्या टीकाकरण अभियान को तेज करने की जरूरत सरकार को समझ नहीं आ रही है?
चीन से निकला कोरोना वायरस पिछले तीन सालों में पूरी दुनिया में कोहराम मचाए हुए है। भारत में पहली और दूसरी लहर ने भयानक तबाही मचायी थी। लंबे लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी थी। लाखों नागरिकों की रोजी-रोटी छिन गयी थी। मध्यम वर्ग के कई लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए थे।
यूपी में लगातार बढ़ रहा केस
हालांकि स्वदेशी टीका और टीकाकरण के कारण हालात में पिछले एक साल में काफी सुधार हुआ। कोरोना केस न के बराबर हो गए। अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आने लगी है लेकिन कुछ दिनों से तेज हुए संक्रमण ने लोगों को फिर डराना शुरू कर दिया है। एक दिन में औसतन पांच से छह हजार केस सामने आ रहे हैं। केरल, महाराष्ट, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु व हरियाणा में संक्रमण दर पांच फीसदी तक पहुंच चुकी है। यूपी में भी कोरोना के काफी केस मिलने शुरू हो गए हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक संक्रमण काफी तेजी से बढ़ सकता है। हालांकि ओमिक्रॉन का यह सब वैरिएंट अधिक घातक नहीं है।
सरकार के दावों के उलट है स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत
वहीं दूसरी ओर सरकार के दावों के उलट स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत अलग है। अकेले उत्तर प्रदेश की बात करें तो अधिकांश अस्पतालों में दवाओं और डॉक्टरों की किल्लत बनी हुई है। टीकाकरण के लिए सेंंटरों पर वैक्सीन नदारद है। सोशल डिस्टेंसिंग और मॉस्क का प्रयोग अभी भी सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जा रहा है। इसके लिए कोई जागरूकता अभियान अभी तक शुरू नहीं किया गया है।
हैरानी की बात यह है कि अस्पतालों तक में कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जा रहा है। यही हाल देश के अन्य राज्यों का है। जाहिर है यदि सरकार ने इस मामले में जल्द कदम नहीं उठाए तो संक्रमण की रफ्तार तेज गति से बढ़ेगी। यह स्थितियां न तो जनता के लिए और न ही देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी होंगी। जनता को भी सहयोग करना होगा क्योंकि सरकार बिना आम सहभागिता के किसी भी महामारी से अकेले नहीं निपट सकती है।