बाराबंकी: चुनाव में ‘अनजान’ चेहरे लेकर आए परिचित, महिला सीट वाली नगर पालिका का हाल
आरक्षण में फेरबदल के बाद दावेदारों ने अपनी दुविधा बहुत सलीके से सुलझा ली। घर की महिला सदस्यों के अनजान चेहरे होर्डिंग में दिखने लगे हैं साथ में पुराने दावेदार भी हैं।चेहरे होर्डिंग में दिखने लगे हैं साथ में पुराने दावेदार भी हैं।
संदेशवाहक डिजिटल डेस्क। आरक्षण में फेरबदल के बाद दावेदारों ने अपनी दुविधा बहुत सलीके से सुलझा ली। घर की महिला सदस्यों के अनजान चेहरे होर्डिंग में दिखने लगे हैं साथ में पुराने दावेदार भी हैं। नतीजा जो भी हो एक बार फिर से चेयरमैन साहब घर या किसी कार्यक्रम में ही दिखेंगे हकूमत उनके पति ही करेंगे।
हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय पर नगर पालिका नवाबगंज की। 1,68,454 वोटर वाले इस निकाय में सर्वाधिक मतदाता हैं तो समस्याएं व चुनौतियां भी। दल व जाति समीकरण के सहारे जीतने वाले ज्ञान देते हुए अपना कार्यकाल तो गुजार ले गए लेकिन वोटर के जेहन में धुधली हो चुकी यादें अभी मिटी नहीं है। पेयजल सफाई का संकट हो या फिर डेंगू के प्रसार के समय हथियार डाले हुए जिम्मेदार हाथ उसे सब याद है। कहने को अलग अलग विभाग हैं अफसर हैं लेकिन सब रिमोट से ही चलते रहे। लोगों को उम्मीद थी कि हालात बदलेंगे लेकिन अतीत फिर खुद को दोहराने जा रहा है ये अलग बात है कि तरीका क्या होगा और चेहरे कौन होंगे।
भाजपा व सपा में है मारामारी
फिलहाल कांग्रेस व बसपा के लिए फार्मेल्टी रहने वाले इस चुनाव में सबसे अधिक मारामारी भाजपा व सपा में ही है। इसमे भाजपा एक कदम आगे ही है। सोशल मीडिया से लेकर सडक़ तक श्रीमती जी के साथ उनके वो हाथ जोड़े दिख रहे हैं। इनको देखते ही पब्लिक भी सोच में पड़ जाती है इनसे तो मिलकर अपनी समस्या ही कहना संभव नहीं होगा। हालांकि कुछ लोग सामाजिक हैं लेकिन अभी फैसला पार्टी को ही लेना है। ये तो सही है लोग बदलाव चाहते हैं लेकिन असमंजस ये है कि भरोसा किस पर करें।
हास्यास्पद ये है कि ऐसे लोग भी हैं जो सिर्फ अपनी मजबूत आर्थिक स्थित की वजह से ही मैदान में उतरे हैं उन्हें विकास और राजनीति दोनों का क-ख-ग तक नहीं मालूम।
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