निष्पक्षता ही हमारा लक्ष्य

फैज़ान अहमद (सम्पादक)

Sandesh Wahak Digital Desk: आपका अपना अखबार ‘संदेश वाहक’ पत्रकारिता के मूल्यों और आदर्शों पर चलते हुए आज 17 वर्ष पूरे कर 18वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। पत्रकारिता का यह सफर सुधी पाठकों के सहयोग के बिना संभव नहीं होता इसलिए इस शुभ अवसर पर ‘संदेश वाहक’ की पूरी टीम अपने पाठकों का न केवल दिल की गहराइयों से अभिनंदन करती है बल्कि सहयोग के लिए शुक्रिया भी अदा करती है।

लोकतंत्र में पत्रकारिता को चौथा स्तंभ माना जाता है। यह स्वशासित है। इसके अपने आदर्श और मूल्य हैं और इसके केंद्र में आम जनता है। यह न केवल आम जनता की आवाज सरकार तक पहुंचाने का काम करती है बल्कि किसी भी अन्याय के खिलाफ जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहती है। ‘संदेश वाहक’ इसी मूल मंत्र और पत्रकारिता के आदर्शों और मूल्यों के साथ पिछले सत्रह सालों से बिना रुके और थके सच्ची खबरों के साथ पाठकों के सामने हर सुबह पेश होता है।

भ्रष्टाचार का मुद्दा हो या राजनीति की उठापटक, बुनियादी सुविधाओं का मामला हो या कानून व्यवस्था का प्रश्न, ‘संदेश वाहक’  हमेशा सरकार और जिम्मेदारों से तीखे सवाल करता रहा है। जनता तक सच पहुंचाना हमारी जिद है और आदर्श भी। हम खबर के पीछे की खबर अपने पाठकों तक पहुंचाते रहे हैं। यही वजह है कि ‘संदेश वाहक’ ने पत्रकारिता जगत में अपनी एक अलग साख बनायी है, पाठकों का विश्वास जीता है। हमने अपने सीमित संसाधनों के बावजूद अपने पाठकों को कभी निराश नहीं किया।

आज जब पत्रकारिता चुनिंदा विचारधाराओं के बोझ तले दबी दिख रही है, हमने सत्य और निष्पक्षता का दामन नहीं छोड़ा है। पत्रकारिता के मूल्यों और आदर्शों के प्रति अपनी पक्षधरता को बरकरार रखा है। हम खबरों को विचारधारा से प्रभावित नहीं होने देते बल्कि खबर को जस की तस पाठकों के सामने परोस देते हैं ताकि वह खुद सच-झूठ में अंतर कर सकें। यही निष्पक्षता और जनपक्षधरता हमारी थाती है।

सत्रह साल पत्रकारिता के लिए कोई बड़ा समय नहीं है लेकिन यदि नीयत साफ हो और लक्ष्य स्पष्ट तो यह मील का पत्थर साबित होती है। आज जब पत्रकारिता से जन-सरोकार गायब हो चुके हैं वहां हम इसकी आवाज बुलंद करने की कोशिश कर रहे हैं। अपने पूर्वजों की थाती को बिना समझौतों के बचाने की पूरी शिद्दत से कोशिश कर रहे हैं। इसमें दो राय नहीं कि यदि हम इसमें सफल हो रहे हैं तो इसके पीछे हमारे सुधि पाठकों का सहयोग और समय-समय पर उनसे मिली प्रशंसा है। सुधि पाठकों का यही विश्वास हमें हौसला देता है।

 उम्मीद है कि ‘संदेश वाहक’ को अपने पाठकों का पहले से अधिक सहयोग मिलेगा।   

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